रिर्पोट में लिखा है कि इन्हें पूजास्थल तक नहीं पहुंचने दिया जाता। रास्ते में रोक लिया जाता है। डराया जाता है। इनके साथ मारपीट की जाती है। हैरत की बात है कि राज्य में कहीं सुनवाई नहीं हो रही है। अगर वे अपने अधिकारों की मांग करते हैं तो उनके साथ मारपीट की जाती है और उनके खिलाफ फर्जी मामले दर्ज किए जाते हैं। पीयूसीएल की रिर्पोटनुसार पिछले तीन माह से हो रही इन घटनाओं को ना मीडिया ने रिर्पोट किया, न ईसाई समुदाय के नेतृत्व ने और न ही उदयपुर जिले में काम कर रही स्वंय सेवी संस्थाओं ने।
रिर्पोट में सामने आया है कि स्थानीय नेताओं का रवैया नफरत फैलाने वाला है। जानकारी में आने के बाद पीयूसीएल ने ट्राईबल क्रिश्चयन वेलफेयर सोसायटी ऑफ इंडिया के उदयपुर जॉन के पदाधिकारी सेमसंग बंगोरा, प्रभू लाल डामोर, अधिवक्ता आमोस व गांव-गांव से आए पीड़ित व्यक्तियों के साथ बैठक की और पीड़ितों की आपबीती सुनी। बैठक के बाद तय किया गया कि इन घटनाओं का सार्वजनिक रूप से विरोध हो। पीयूसीएल उदयपुर ने तय कि इन हमलों के विरोध में जहां आदिवासी ईसाईयों के विरोध में पूजा करने के अधिकार वंचित रखा जा रहा है, वे ईसाई समुदाय के साथ खडे़ हो जिला स्तर पर जनविरोध का आयोजन करेंगे।