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गिलानी फॉर्म सही भरें तो पासपोर्ट पर विचार: राजनाथ

सरकार ने शुक्रवार को कहा कि वह हुर्रियत कांफ्रेंस के कट्टरपंथी धड़े के नेता सैयद अली शाह गिलानी के पासपोर्ट से संबंधित आवेदन पर तभी विचार करेगी पक जब तब वह सभी औपचारिकताओं को पूरा करेंगे।
गिलानी फॉर्म सही भरें तो पासपोर्ट पर विचार: राजनाथ

साथ ही यह संकेत भी दिया कि वह इसे मंजूर करने के खिलाफ नहीं है। गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने एक कार्यक्रम से इतर यहां संवाददाताओं से कहा, औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद अगर यह हमारे समक्ष आता है, तब हम इस पर विचार करेंगे। हमें कोई आपत्ति नहीं है। गृह मंत्री से पूछा गया था कि क्या सरकार कश्मीरी अलगाववादी नेता को पासपोर्ट देने के बारे में विचार करेगी। गुरुवार को विदेश मंत्रालय ने कहा था कि गिलानी के पासपोर्ट से संबंधित आवेदन पर वर्तमान रूप में विचार नहीं किया जा सकता क्योंकि यह अधूरा है।

उन्होंने न तो पासपोर्ट फीस जमा की है और न ही बायोमेटिक ब्यौरा और फोटोग्राफ दिए हैं। वहीं, गृह मंत्री ने कहा था कि पासपोर्ट प्रत्येक भारतीय नागरिक का अधिकार है और नियत प्रक्रिया पूरी होने पर विदेश मंत्रालय इसे जारी करता है। गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा था, अगर कोई पासपोर्ट के लिए आवेदन करता है तब उसके मामले की जांच से पहले सभी औपचारिकताएं पूरी करनी होती है। तब उस मामले को गृह मंत्रालय के समक्ष भेजा जाता है, और फिर गुण-दोष के आधार पर उसकी जांच की जाती है।

गिलानी के पासपोर्ट मामले पर जम्मू कश्मीर में सत्तारूढ़ पीडीपी एवं भाजपा का रूख अलग अलग है। पीडीपी का कहना है कि वह गिलानी को मानवीय आधार पर पासपोर्ट देने के लिए केंद्र से संपर्क करेगी। जबकि भाजपा का कहना है कि गिलानी को तब तक विदेश यात्रा करने का दस्तावेज नहीं दिया जाना चाहिए जब तक वह राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के लिए क्षमा नहीं मांगते हैं। सूत्रों ने बताया था कि गिलानी और उनके परिवार के लोग जेद्दाह जाना चाहते हैं और इस बारे में पासपोर्ट के लिए आनलाइन आवेदन किया है।

लेकिन वह अपने बायोमेटिक डाटा और फोटोग्राफ के लिए अभी तक श्रीनगर स्थित क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय नहीं गए। नियमों के मुताबिक, आवेदक को व्यक्तिगत रूप से पासपोर्ट कार्यालय जाकर बायोमेटिक ब्यौरा और फोटोग्राफ देना होता है। सिसोदिया ने अपने टि्वटों में कहा, इस अधिसूचना से, यह स्पष्ट है कि दिल्ली का तबादला उद्योग हमसे कितना भयभीत है। उन्होंने कहा कि इस अधिसूचना के जरिए तबादला-पोस्टिंग उद्योग को बचाने का प्रयास किया जा रहा है।

गृह मंत्रालय की अधिसूचना में कहा गया है कि लोक व्यवस्था, भूमि और सेवा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की विधानसभा के दायरे से बाहर हैं और परिणामस्वरूप राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार के पास इस तरह के मुद्दों पर कोई कार्यकारी शक्ति नहीं होगी। सिसोदिया ने आरोप लगाया कि घटनाक्रम से पता चलता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री राजनाथ सिंह भ्रष्टाचार तथा तबादला-पोस्टिंग उद्योग के आगे घुटने टेक रहे हैं।

उन्होंने सिलसिलेवार टि्वट कर कहा, दिल्ली में पुलिस आयुक्त, मुख्य सचिव, गृह सचिव और भूमि सचिव की नियुक्ति उप राज्यपाल के हाथों में हैं, लेकिन मुख्यमंत्री से सलाह-मशवरे के जरिये। सिसोदिया ने कहा, इन सभी चार मामलों में उप राज्यपाल को मुख्यमंत्री से परामर्श किए बिना नियुक्ति करने का अधिकार नहीं है।

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