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पीएम मोदी की डिग्री मामले में केजरीवाल को झटका, गुजरात हाईकोर्ट ने लगाया जुर्माना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पढ़ाई-लिखाई और डिग्री पर सवाल उठाने वाले अरविंद केजरीवाल को गुजरात हाई...
पीएम मोदी की डिग्री मामले में केजरीवाल को झटका, गुजरात हाईकोर्ट ने लगाया जुर्माना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पढ़ाई-लिखाई और डिग्री पर सवाल उठाने वाले अरविंद केजरीवाल को गुजरात हाई कोर्ट से तगड़ा झटका लगा है। दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने मोदी की एमए की डिग्री सार्वजनिक करने की मांग की थी।

दरअसल, गुजरात हाई कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के सात साल पुराने उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें गुजरात विश्वविद्यालय को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री के बारे में जानकारी उपलब्ध कराने को कहा गया था।

गुजरात हाई कोर्ट ने इसे तुच्छ और भ्रामक पिटिशन करार देते हुए केजरीवाल पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। गुजरात हाईकोर्ट ने केंद्रीय सूचना आयोग के उस आदेश को निरस्त कर दिया, जिसमें आरटीआई के तहत डिग्री देने की बात कही गई थी।

गुजरात हाईकोर्ट के जस्टिस बीरेन वैष्णव ने गुजरात यूनिवर्सिटी की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर जुर्माना लगाने का आदेश दिया। जस्टिस बीरेन वैष्णव ने गुजरात यूनिवर्सिटी की याचिका पर फैसला देते हुए कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जुर्माना लगाया है। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल चार हफ्ते में 25 हजार रुपये की धनराशि गुजरात स्टेट लीगल सर्विसेस अथॉरिटी के पास में जमा कराएं। इससे पहले गुजरात हाईकोर्ट ने सुनवाई पूरी करने के बाद 9 फरवरी, 2023 को फैसला सुरक्षित रख लिया था।

गुजरात हाईकोर्ट का यह फैसला ऐसे वक्त पर आया है जब अरविंद केजरीवाल ने फिर से पीएम मोदी की शैक्षिक योग्यता पर सवाल उठाना शुरू किया है। केजरीवाल ने हाल ही में दिल्ली विधानसभा के अंदर कहा था कि पीएम मोदी अनपढ़ हैं। वे देश सबसे कम पढ़े-लिखे पीएम हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि पीएम सिर्फ 12वीं पास हैं।

पिछली सुनवाइयों के दौरान, गुजरात विश्वविद्यालय ने सीआईसी के आदेश पर जोरदार आपत्ति जताते हुए कहा था कि सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत किसी की "गैर-जिम्मेदाराना बचकानी जिज्ञासा" सार्वजनिक हित नहीं बन सकती है।

फरवरी में हुई पिछली सुनवाई के दौरान विश्वविद्यालय की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दावा किया था कि पहली बार में छिपाने के लिए कुछ भी नहीं था क्योंकि पीएम की डिग्री के बारे में जानकारी "पहले से ही सार्वजनिक डोमेन में है" और विश्वविद्यालय ने भी जानकारी को सार्वजनिक डोमेन में रखा है।

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