स्थानीय निकायों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। जल्द चुनाव की कोई उम्मीद भी नहीं है। इस बीच हेमंत सोरेन की सरकार ने पूर्व की रघुवर सरकार के उस फैसले को पलट दिया है जिसमें मुखिया को स्थानीय स्तर पर लाभुक समिति के माध्यम से पांच लाख रुपये तक का काम कराने का फैसला किया था। अब यह राशि आधी कर दी गई है।
इस फैसले को अपने समय में रघुवर दास ने बड़ा प्रचारित किया था कि अब गांव के लोग अपनी जरूरत के हिसाब से लाभुक समिति के माध्यम से पांच लाख रुपये तक की योजनाओं का चयन करते हुए बिना टेंडर के काम करा सकेंगे।
पंचायत राज विभाग ने अपने ताजा आदेश में कहा है कि 15 वें वित्त आयोग से मिली राशि में से अब केवल ढाई लाख रुपये तक की योजनाओं को ही लाभुक समिति के माध्यम से कराया जा सकेगा।
इससे अधिक की योजना के लिए टेंडर निकाला होगा। विभाग ने अपने फैसले से सभी जिलों के उप विकास आयुक्तों व जिला पंचायत राज पदाधिकारियों को अवगत करा दिया है। वित्तीय शक्ति घटाने का मुखिया संघ ने विरोध किया है। संघ का शिष्टमंडल जल्द ही शक्ति की पुनर्बहाली के लिए सरकार से मिलेगा।