मणिपुर में राज्य सरकार ने इंटरनेट पर प्रतिबंध को 15 जून तक बढ़ा दिया है। एक आधिकारिक बयान में कहा गया, "राज्य में शांति और कानून व्यवस्था बनाए रखने की दिशा में सोशल मीडिया पर गलत व झूठी खबरों, अफवाहों के प्रसार को रोकने के लिए राज्य में इंटरनेट बैन को पांच अतिरिक्त दिनों तक जारी रखा जाएगा।"
इंटरनेट बैन पर सामने आई आधिकारिक पुष्टि के अनुसार, इसे 15 जून दोपहर तीन बजे तक बढ़ाया गया है। मणिपुर के सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री डीआर सपम रंजन ने शनिवार को कहा कि पिछले 24 घंटों में राज्य के किसी भी कोने में कोई अप्रिय घटना नहीं घटी है, इसका अर्थ है कि राज्य अब धीरे धीरे सामान्यता की दिशा में अग्रसर है।
मंत्री ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि संपूर्ण राज्य में फिलहाल 349 राहत शिविर लगे हुए हैं। मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह ने हाल ही में पुष्टि की थी कि करीब 60 लोग अलग अलग हिंसात्मक घटनाओं में अपनी जान गंवा चुके हैं। कई सारे घर जले हैं तो वहीं राज्य के अलग स्थानों से नई हिंसात्मक घटनाएं भी सामने आई हैं।
राज्य के मंत्री ने बताया कि सरकार ने लूटे गए 4,537 हथियारों में से 990 हथियार बरामद कर लिए हैं। उन्होंने कहा, "सरकार शांति बनाए रखने के हरसंभव प्रयास कर रही है।" शनिवार को चौथे दिन भी सुरक्षा दलों ने संवेदनशील मैदानी और पहाड़ी इलाकों में संयुक्त रूप से कॉम्बिंग ऑपरेशन चलाया और तकरीबन 22 हथियार बरामद किए।
बता दें कि राज्य सरकार ने मणिपुर के राज्यपाल की अध्यक्षता में एक शांति समिति का गठन भी किया है, जिसका उद्देश्य प्रदेश के विभिन्न समुदायों के बीच शांति हेतु अपनाई जा रही प्रक्रियाओं पर नजर रखना होगा। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की घोषणा के अनुसार बनी यह समिति जल्द से जल्द मणिपुर की स्थिति को सामान्य करने पर काम करेगी।
गौरतलब है कि अमित शाह ने 29 मई से एक जून तक मणिपुर का दौरा करते हुए विभिन्न बैठकें करने के दौरान यह घोषणा की थी। उच्च न्यायालय के एक निर्देश के मद्देनजर राज्य सरकार को अनुसूचित जाति की सूची में मेइती समुदाय को शामिल करने पर विचार करने के लिए कहा गया, जिसके बाद से हिंसा भड़क उठी। अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी में मेइतेई/मीतेई को शामिल करने की मांग के विरोध में ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन (एटीएसयू) द्वारा आयोजित एक रैली के दौरान 3 मई को हिंसा भड़क उठी।