रांची। बिजली के बकाया को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार और राज्य की हेमन्त सरकार के बीच रार फिर बढ़ गयी है। त्रिपक्षी समझौते से अलग हो जाने के बावजूद डीवीसी (दामोदी वैली कारपोरेशन) के बकाया मद में केंद्र सरकार ने आरबीआइ के माध्यम से राज्य के खजाने से 714 रुपये काट लिये। तब बिजली बोर्ड ने भी भारी अंभियंत्रण निगम (एचईसी) के बकाया के हवाले उसकी पूरी बिजली ही काट दी है।
पहले से घाटे में चल रहे केंद्र सरकार के लोक उपक्रम एचईसी की हालत यह है कि कर्मचारियों का वेतन करीब पांच माह बैक चल रहा है। और झारखंड बिजली वितरण निगम ने एक पखवारा से बकायेदारों के खिलाफ चल रहे अभियान के हवाले से कनेक्शन काटा है। एचईसी पर सर्वाधिक बकाया है। झारखंड बिजली वितरण निगम के एरिया महाप्रबंधक पीके श्रीवास्तव के अनुसार पिछले पांच साल का 129 करोड़ रुपये बकाया है। बकाया भुगतान के लिए पिछले दो साल के दौरान बिजली बोर्ड की ओर से करीब दो दर्जन बार स्मार पत्र दिये जा चुके हैं। मगर एचईसी ने कोई बकाया का भुगतान नहीं किया। एचईसी से भुगतान को लेकर कोई प्रस्ताव आयेगा तो उस पर विचार किया जायेगा। इधर एचईसी खुद को संकट से उबारने के लिए बाहर से किसी तरह आर्डर लाकर काम करा रहा है। बिजली लंबे समय तक कटी तो उसका संकट और गहरा हो जायेगा।
इधर डीवीसी के बकाया बिजली मद की राशि में से 714 करोड़ रुपये केंद्र द्वारा आरबीआइ के माध्यम राज्य के खजाने से सीधा काट लिये जाने पर सत्ताधारी झामुमो के महासचिव विनोद पांडेय ने तीखी प्रतिक्रिया जाहिर की है। प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि कोरोना में आर्थिक संकट के बावजूद राज्य सरकार हर माह डीवीसी को 125 करोड़ रुपये का भुगतान कर रहा है इसके बावजूद राज्य के खजाने से राशि काट ली गई। राज्य के वित्त मंत्री के हवाले से उन्होंने कहा कि इस कटौती का असर राज्य के सरकारी कर्मचारियों के वेतन भुगतान पर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि डीवीसी बिजली बिजली बिल के बकाया भुगतान के मसले पर भाजपा की रघुवर सरकार के समय त्रिपक्षीय समझौता हुआ था कि भुगतान में विलंब होने पर केंद्र सरकार आरबीआइ के माध्यम से राज्य के खजाने से राशि सीधा काट लेगी। भाजपा शासित और दूसरे राज्यों जैसे यूपी, कर्नाटक, जम्मू कश्मीर, मध्य प्रदेश पर अरबों रुपये बकाया है। मगर वैसा व्यवहार नहीं किया जा रहा जैसा झारखंड से किया जा रहा है। इसी तरह के व्यवहार को देखते हुए कैबिनेट से निर्णय कर हेमन्त सरकार त्रिपक्षीय समझौते से अलग हो गई। यानी आरबीआइ के माध्यम से राज्य के खजाने से सीधी कटौती नहीं होगी। कटौती को लेकर मुख्यमंत्री खुद केंद्रीय मंत्रियों से मिल कर आग्रह किया था। पूर्व में बकाया मद में करीब 22 सौ करोड़ रुपये राज्य के खजाने से काट लिये जाने के बाद हेमन्त सोरेन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मार्मिक पत्र लिखकर राशि वापसी की मांग की थी मगर कोई असर नहीं पड़ा। राज्य के साथ केंद्र का यह सौतेला व्यवहार है। झामुमो महासचिव ने कहा कि राज्य में 14 में से 12 भाजपा के सांसद हैं और चार राज्यसभा सदस्य हैं। केंद्र में तीन मंत्री हैं मगर भेदभाव के व्यवहार पर कोई सवाल नहीं कर रहा। वही जब राज्य में आते हैं तो ठीकरा राज्य सरकार पर फोड़ते हैं। इसी सितंबर और दिसंबर माह में बकाया 21 सौ करोड़ रुपये और काटने वाली है। कोरोना के संकट के बीच केंद्र का यह रवैया जाहिर करता है कि भाजपा नीत केंद्र सरकार राज्य से सौतेला व्यवहार कर रही है। बर्दाश्त के लायक नहीं है। केंद्र के पास राज्य का जीएसटी, केंद्रीय करों का पैसा बकाया है केंद्र ने आज तक ठोस कदम नहीं उठाया है। इस पर भी मुख्यमंत्री ने कड़ी आपत्ति की। के बावजूद केंद्र द्वारा पहल नहीं करना संदेह पैदा करता है। वित्त मंत्री ने भी केंद्र से भुगतान के लिए मौका मांगा है के बावजूद धमकी वाला कदम किसी सूरत में उचित नहीं।