पर्यावरण प्रदूषण को लेकर पूरी दुनिया चिंतित है। जैव इंधन के रूप को एक सहयोगी विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि जैव इंधन से पर्यावरण प्रदूषण पर लगाम संभव है। इसके इस्तेमाल और स्वरूप पर मंथन के लिए देश के विशेषज्ञ रांची में जुट रहे हैं। G20 में ग्लोबल जैव ईंधन अलायन्स बनने से इस सेमिनार का महत्व और बढ़ गया है।
रांची स्थित सेल के 'अनुसंधान एवं विकास केंद्र', इस्पात भवन में एक राष्ट्रीय सेमीनार "बायोस 2023", का 15 - 16 सितंबर को का आयोजन किया जा रहा है। आर एंड डी, सेल के प्रभारी कार्यपालक निदेशक निर्भीक बनर्जी, कार्यपालक निदेशक आर एंड डी संदीप कुमार कर, एवं आईसीएआर के डॉ. सुजोय रक्षित ने इस संबंध में विस्तृत जानकारी दी।
सेल के निर्भीक बनर्जी एवं संदीप कर ने बतलाया कि इस्पात संयंत्र वातावरण में कुल ग्रीन हाउस गैसेस के 9 प्रतिशत भागीदार हैं जो बहुत ही अधिक है। विश्व में पेरिस समझौते तथा कॉप26 के दवाब के मद्देनजर भारत ने साल 2070 में शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य रखा है। उस लक्ष्य को हासिल करने के लिए जैव ईंधन अपरिहार्य है, क्योंकि जैव ईंधन से कार्बन उत्सर्जन बहुत ही कम होता है। तथा इसे इस्पात संयंत्रों की धमन भट्ठी में कोक के साथ आंशिक रूप से डाला जा सकता है। इसके लिए धमन भट्ठी की बनावट इत्यादि में कोइ संशोधन की ज़रूरत नहीं होगी और न ही कोई अतिरिक्त खर्च आयेगा। इसके अतिरिक्त फर्नेस में आयल की जगह भी जैव ईंधन इस्तेमाल हो सकता है।
डॉ. रक्षित ने बतलाय कि किस प्रकार धान की पराली जिससे पर्यावरण प्रदूषित होता है। दिल्ली में इससे होने वाले प्रदूषण को लेकर अकसर चिंता जाहिर की जाती है। उस पराली को हम सही तकनीक द्वारा जैव ईंधन में परिणत कर सकते हैं। मगर इस सफर में कई कठिन चुनौतियां हैं जिनका मुकाबला देश के सभी वैज्ञानिकों को मिलकर करना होगा। इन चुनौतियों में सर्वप्रथम जैव ईंधन के उष्मीय क्षमता को लगभग दोगुना करना, इसमें विविधता का मानकीकरण करना, इसके घनत्व को बढ़ाना, इसे संग्रह एवं स्थानान्तरण की व्यवस्था करना इत्यादि हैं। अभी भारत सरकार इसका प्रसंस्करण किसानों के खेतों के निकट ही करने का मंसूबा बना रही है जिसे स्थानीय रोजगार में अभिवृद्धि हो तथा स्थानांतरण का खर्च भी कम लगे।
सेमीनार में बांस से जैव ईंधन पर विशेष रूप से चर्चा होगी। सेमीनार इस्पात मंत्रालय के मार्गदर्शन में हो रहा है। इसका उद्घाटना केंद्रीय इस्पात सचिव एनएन सिन्हा करेंगे। तकनीकी सत्रों में भारत के दिग्गज वैज्ञानिक एवं पर्यावरणविद हिस्सा लेंगे। जिसमे सेल, आई.सी.ए.आर, आई.आई.टी., आए.आई.एम., जे.एन. यू., कृषि से जुड़े संस्थान, जैव ईंधन के उत्पादक, इनके उपभोगता प्रमुख हैं।