तंबाकूयुक्त पानमसाला पर प्रतिबंध और हकीकत को लेकर शुक्रवार को अदालत में राज्य सरकार की जमकर फजीहत हुई। रांची हाई कोर्ट की चलती अदालत में न्यायमूर्ति डॉ रविरंजन और न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद की खंड पीठ ने अपने मातहत को बाहर भेजकर पान मसाला मंगवाया और सरकार से पूछा कि यह कैसा प्रतिबंध है। बता दें कि झारखंड में पहले से गुटखा पर प्रतिबंध है, कोरोना काल में इसके प्रतिकूल असर को देखते हुए 25 जुलाई को अगले एक साल के लिए प्रतिबंध का विस्तार कर दिया गया। पान की दुकानें बंद हो गईं मगर चोरी-छुपे पान मसाला-गुटखा सरेआम उपलब्ध हैं। आये दिन इससे संबंधित खबरें छपती रहती हैं।
दरअसल फरियाद फाउंडेशन ने गुटखा पर प्रतिबंध लगाने की मांग को लेकर रांची हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी। शुक्रवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग से सुनवाई हो रही थी। सरकार की ओर से खाद्य सुरक्षा विभाग के विशेष सचिव चंद्र किशोर उरांव उपस्थित थे। गुटखा पर प्रदेश में पूरी तरह प्रतिबंध है, राज्य सरकार की ओर से जवाब आने पर खंड पीठ ने हैरत जाहिर करते हुए नमूने के तौर पर अदालत के कर्मी को तत्काल बाजार भेजकर गुटखा मंगवाया। खाद्य सुरक्षा विभाग के विशेष सचिव को दिखाते हुए पूछा कि यह कैसा प्रतिबंध है। अधिकारी द्वारा इसकी जांच की बात कहने पर अदालत ने शपथ पत्र के साथ जांच रिपोर्ट अदालत को सौंपने का निर्देश दिया। अगली सुनवाई नवंबर के दूसरे सप्ताह में होगी।
बता दें कि गुटखा पर प्रतिबंध को लागू करने के लिए जिलों में कमेटियां भी हैं, समय-समय पर अभियान भी चलता है। धर-पकड़ भी होती है मगर असर दिखाने भर को ही रहता है। राजधानी रांची में ही आप जिस इलाके में चाहें आसानी से गुटखा, खैनी उपलब्ध हो जायेगा। जबकि कोविट काल में इसको लेकर विशेष हिदायत थी।