कोयला खदानों की कामर्शियल माइनिंग, जीएसटी कंपनसेशन, दामोदर घाटी निगम के बकाया बिजली मद में 1417 करोड़ रुपये राज्य सरकार के खजाने से काट लिये जाने के बाद तीन मेडिकल कॉलेजों में नामांकन पर रोक को लेकर हेमंत सरकार की केंद्र से ठन गई है। कुछ कमियों को लेकर नेशनल मेडिकल काउंसिल ( एनएमसी) ने दुमका, पलामू और हजारीबाग मेडिकल कॉलेजों में चालू वर्ष ( 2020-21)में नामांकन पर रोक लगा दी है।
केंद्र के इस फैसले पर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गहरा एतराज जताया है। कहा कि फिर केंद्र ने राज्य के साथ सौतेला व्यवहार किया है। हमारे यहां तीन मेडिकल कॉलेज चालू हो चुके थे। कुछ आधारभूत संरचना कुछ कर्मियों की कमी जरूर थी जिसे पूरा किया जा रहा था। आधारभूत संरचना में 90-95 फीसद काम पूरा हो चुका था। अब तीनों मेडिकल कॉलेजों को डिबार कर दिया गया है। बच्चे एडमिशन नहीं ले सकते जबकि देवघर में बन रहे एमस का पांच फीसद भी काम पूरा नहीं हुआ है उसे डिबार नहीं किया गया है। इससे अंजादा लगा सकते हैं कि केंद्र सरकार झारखंड के प्रति सोच कैसी है। हमें बात आगे रखनी है। हमारी रोकी जाती तो एम्स की क्यों नहीं। राज्य सरकार को परेशान करना, हमारी गति को धीमी करने का हर षडयंत्र, हर उपाय केंद्र सरकार लगा रही है। रिजर्व बैंक से पैसे काटे जा रहे हैं। हमने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है। उनसे मिलने का भी आग्रह किया है।
इधर गुरूवार को इसी मसले पर झारखंड के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर 31 अक्टूबर तक बचे हुए काम पूरा करने, फैकल्टी की कमी को दूर करने और नन टीचिंग स्टाफ की नियुक्ति प्रक्रिया शीघ्र शुरू करने का निर्देश दिया। यह भी निर्णय लिया गया कि एडमिशन की अनुमति के लिए एनएमसी के साथ केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव को भी जल्द पत्र लिखकर अनुरोध किया जायेगा।
तीनों मेडिकल कॉलेजों में लैब निर्माण का काम अधूरा है। एनएमसी ने अधूरे लैब के साथ फैकल्टी की कमी पर असंतोष जाहिर करते हुए चालू सत्र में नामांकन पर रोक लगाई है। बता दें कि तीनों मेडिकल कॉलेजों में सौ-सौ सीटें हैं।