झारखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास और उन्हीं के कैबिनेट में मंत्री रहे सरयू राय के बीच राजनीति का खेल चल रहा है। हालांकि सरयू राय ही लगातार हमलावर रहे हैं, अब सरयू राय पर आरोप लगने से खेल में नया मोड़ आ गया है। हालांकि फूंक-फूंक कर चलने वाले सरयू राय के खिलाफ अमूमन भ्रष्टाचार के आरोप नहीं लगते रहे हैं।
जब सरयू राय रघुवर सरकार में मंत्री थे उसी दौरान सरकार और विभाग की नाकामियों, खामियों, अनियमितताओं को लेकर लगातार पत्राचार करते रहते थे। विवाद बढ़ा तो रास्ते जुदा-जुदा हो गये। भाजपा से नाता तोड़ सरयू राय ने रघुवर दास के खिलाफ ही विधानसभा का चुनाव लड़ा और पराजित कर दिया। रघुवर दास के हाथ से सत्ता भी चली गई। मगर आदतन सरयू राय का अभियान जारी है।
रघुवर सरकार के दौरान दो दर्जन घोटालों का आरोप लगाते हुए उन्होंने उनके कार्यकाल की जांच के लिए आयोग के गठन की मांग कर दी है। वहीं सत्ताधारी झामुमो के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने भी अपनी ही सरकार से जांच के लिए आयोग के गठन की मांग कर दी है। भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के खिलाफ सरयू राय की पहचान रही है। संयुक्त बिहार में भी वे एमएलसी थे। पशुपालन घोटाला मामले को अंजाम तक पहुंचाने में भी उनकी बड़ी भूमिका रही। झारखण्ड में भ्रष्टाचार को लेकर उन्होंने दो किताब ही लिख दी है। हाल में जब उन्होंने रघुवर शासन के दौरान दो दर्जन निर्माण, योजनाओं में घोटाले, अनियमितता का आरोप लगाया तो रघुवर खेमे में बेचैनी बढ़ी। हालांकि सरयू राय के साथ झामुमो के स्वर मिलाने के बावजूद भाजपा खामोश रही मानो भाजपा के मुख्यमंत्री नहीं रघुवर दास की व्यक्तिगत जंग हो। हर छोटी-बड़ी घटनाओं पर प्रतिक्रिया देने वाली भाजपा के प्रदेश कार्यालय से एक बयान तक रघुवर दास के पक्ष में नहीं आया। इधर रघुवर दास की कार्यस्थली और गृह जिला जमशेदपुर महानगर इकाई ने सरयू राय के खिलाफ मुंह खोला है।
महानगर इकाई के अध्यक्ष गुंजन यादव के नेतृत्व में एक शिष्टमंडल ने राजभवन जाकर सरयू राय के कार्यकाल में वित्तीय अनियमितता का आरोप लगाते हुए उसकी जांच की मांग की है। हालांकि इससे संबंधित बयान-ज्ञापन भी भाजपा के प्रदेश कार्यालय से जारी नहीं किया गया। प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से कहा कि खाद्य आपूर्ति मंत्री रहने के दौरान सरयू राय ने अपने विभागी पत्रिका आहार के लिए मनोनयन के आधार पर झारखंड प्रिंटर्स का चयन किया। कार्यपालक नियमावली और वित्तीय नियमावली के अनुसार 15 लाख रुपये से अधिक के काम के लिए टेंडर निकालना अनिवार्य है। मगर सरयू राय ने वित्त विभाग या कैबिनेट की मंजूरी के बिना मनोनयन के आधार पर काम दे दिया।
इसी तरह खाद्य आपूर्ति विभाग की उपलब्धियों को टेलीफोन संदेश के माध्यम से लाभुकों तक पहुंचाने के काम में अनियमितता का आरोप लगाया। राज्यपाल को बताया कि इसके लिए बाब कंप्यूटर्स को 81 पैसे के हिसाब से काम दिया गया जबकि यही काम जनसंपर्क विभाग दस पैसे के हिसाब से करता था। किसी स्वतंत्र एजेंसी से इसकी जांच की मांग की गई। सरयू राय के करीबी कहते हैं कि रघुवर दास को मेरे खिलाफ कुछ मामला नहीं मिला तो छोटे कार्यकर्ताओं को मेरे खिलाफ खड़ा किया है। आरोप में कोई दम नहीं है। सरयू राय ने कहा कि रघुवर दास के कार्यकाल में विभिन्न अनियमितताओं की जांच की जांच आगे बढ़ रही है तो वे बौरा से गये हैं। सरयू राय कहते हैं कि मैं खुद आग्रह करूंगा कि मेरे खिलाफ जितनी जल्द जांच संभव हो जांच कराई जाये।
भाजपा विधायक दल नेता बाबूलाल मरांडी, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दीपक प्रकाश, पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा यानी भाजपा के तीनों बड़े नेता किसी को अधिकृत कर इसकी जांच करा लें। गृह मंत्री अमित शाह से भी कहूंगा कि इस मामले की जांच सीबीआइ को सौंप दें।