केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन की अध्यक्षता में बृहस्पतिवार को तिरवनंतपुरम में हुई कैबिनेट की बैठक यह निर्णय लिया गया। कैबिनेट ने उन नियुक्तियों के संबंध में आई विभिन्न शिकायतों की जांच मुख्य सचिव एस एम विजयनंद को सौंपी है जो विवादों के घेरे में आए। मुख्यमंत्री का हवाला देते हुए एक बयान में केरल सरकार ने कहा, यह नियुक्तियों में भाई-भतीजावाद को रोकने के लिए है। कैबिनेट ने यह भी फैसला किया है कि राज्य में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में प्रबंध निदेशक एवं महाप्रबंधक जैसे पदों पर नियुक्ति के लिए अब सतर्कता मंजूरी अनिवार्य होगी। इसके अलावा भविष्य में राज्य में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में वरिष्ठ पदों की नियुक्ति राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञों की एक समिति करेगी।
उद्योग मंत्री ई पी जयराजन ने राज्य के कुछ सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में महत्वपूर्ण पदों पर अपने कुछ करीबी रिश्तेदारों की नियुक्ति कर दी थी, जिसके बाद से एलडीएफ सरकार को कड़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। जयराजन ने अपने भतीजे पी के सुधीर एवं कन्नूर से माकपा सांसद एम पी श्रीमथी के बेटे को केरल राज्य औद्योगिक उद्यम लिमिटेड में प्रबंध निदेशक के रूप में नियुक्त किया था। मंत्री ने अपने भाई की बहू दीप्ति निशाद को भी कन्नूर स्थित केरल क्ले एंड सरैमिक्स प्रोडक्ट्स लिमिटेड की महाप्रबंधक के रूप में नियुक्ति भी की थी। इस मुद्दे पर कांग्रेस नेतृत्व वाली यूडीएफ और भाजपा द्वारा आंदोलन शुरू करने से माहौल गरमा गया, जिसके चलते सुधीर की नियुक्ति को सरकार ने रद्द कर दिया और दीप्ति, जिन्होंने प्रभार ले लिया था, ने पद से इस्तीफा दे दिया।