मनोज तिवारी ने दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल से मांग की है कि यदि केजरीवाल शीघ्र इस्तीफा नहीं देते हैं तो उन्हें संवैधानिक प्रावधानों के अंतर्गत केजरीवाल सरकार की बर्खास्तगी की सिफारिश राष्ट्रपति से करनी चाहिए। इस बारे मेेंं दिल्ली भाजपा का एक प्रतिनिधिमंडल आज उपराज्यपाल महोदय से मिलेगा।
एक प्रेसवार्ता में मनोज तिवारी ने कहा है, "मुझे खुशी है कि केजरीवाल सरकार के मंत्री कपिल मिश्रा की आत्मा अंततः जागी और उन्होंने देर से ही सही पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एवं उनके निकटतम सहयोगी मंत्रियों के भ्रष्टाचार की गाथाओं को खोला है। यह संभवत: किसी भी सरकार के विरूद्ध भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा खुलासा है क्योंकि खुलासा करने वाला व्यक्ति कोई और नहीं उनका ही एक वरिष्ठ मंत्रिमंडल सहयोगी है।"
तिवारी का दावा है कि जिस तरह कपिल मिश्रा ने कहा है कि उनकी आंखों के सामने अरविंद केजरीवाल ने नकद 2 करोड़ रूपये लिए हैं, उसके बाद किसी और विवेचना की आवश्यकता नहीं है। अब यह मुख्यमंत्री के विरूद्ध भ्रष्टाचार का एक स्थापित मामला बन गया है। भाजपा लगातार कहती रही है कि अरविंद केजरीवाल और उनके निकटतम सहयोगी जमीनों पर कब्जे करने, अनधिकृत जमीनों को खरीदने, हवाला करोबार एवं ऐसी ही अन्य आर्थिक धांधलियों में लिप्त हैं। मिश्रा के आज के खुलासे ने भाजपा के आरोपों को सही साबित कर दिया है। इस खुलासे के बाद केजरीवाल को मुख्यमंत्री बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं बचा है। केजरीवाल की स्थिति चारा घोटाले के आरोपी उनके प्रेरणा मित्र लालू यादव से भी खराब है।