मद्रास हाई कोर्ट ने कहा है कि जन वितरण सेवाओं के जरिए राशन कार्ड धारकों को मुफ्त में चावल देने की सुविधा को सिर्फ बीपीएल परिवारों तक सीमित रखा जाना चाहिए। अदालत के मुताबिक, सभी तबके के लोगों को मुफ्त की रेवड़ियां बांटे जाने से लोग आलसी हो गए हैं।
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, मद्रास हाई कोर्ट ने कहा कि सरकार के लिए जरूरतमंदों, गरीबों को चावल और अन्य किराने का सामान देना जरूरी है, लेकिन पहले की सरकारों ने राजनीतिक लाभ के लिए इस तरह का लाभ सभी तबकों को दिया।
न्यायमूर्ति एन. किरूबाकरण और न्यायमूर्ति अब्दुल कुद्दूस की पीठ ने कहा, ‘परिणामस्वरूप, लोगों ने सरकार से सबकुछ मुफ्त में पाने की उम्मीद करनी शुरू कर दी। नतीजतन वे आलसी हो गए हैं और छोटे-छोटे काम के लिए भी प्रवासी मजदूरों की मदद ली जाने लगी।’
पीठ गुरुवार को पीडीएस के चावल की तस्करी कर उसे बेचने के आरोप में गुंडा कानून के तहत गिरफ्तार एक व्यक्ति द्वारा इसे चुनौती दिए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
कोर्ट में सुनवाई के दौरान सरकार ने पीठ को बताया था कि आर्थिक हैसियत का ख्याल किए बगैर सभी राशनकार्ड धारकों को मुफ्त में चावल दिया जाता है।