रांची। आत्मसमर्पण करने वाली जल्द ही खुली जेल में दिखेंगे। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने इसी तरह का निर्देश दिया है। वामपंथी उग्रवाद पर आयोजित उच्चस्तरीय बैठक की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से सवाल किया कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को खुली जेल में न रखकर सामान्य जेल में क्यों रखा जा रहा है। खुली जेल में रखने के लिए अगर जेल मैन्युअल में किसी तरह के बदलाव की जरूरत हो तो वह भी करें। साथ ही, आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को मिलने वाली राशि रिलीज करने की प्रक्रिया सरल करें। बैठक में मुख्यमंत्री ने राज्य के खूंटी, रांची, सरायकेला, चाईबासा, कोल्हान, पारसनाथ, बूढ़ा पहाड़ और इंटर स्टेट में आने वाले बूढ़ा पहाड़-छत्तीसगढ़ एवं चतरा-गया-पलामू-औरंगाबाद बॉर्डर- बिहार में नक्सलियों की गतिविधियों के बारे में विस्तार से जानकारी ली।
विस्फोटक सामग्रियों का ब्योरा रखें
मुख्यमंत्री ने नक्सलियों को प्राप्त होने वाले विस्फोटक सामग्री पर पैनी निगाह रखने का निदेश दिया। कहा कि इसकी पूरी मैपिंग होना जरूरी है। खनन में उपयोग हो रहे विस्फोटक की पूर्ण जानकारी रखें। ताकि नक्सलियों तक विस्फोटक न पहुंच सके। नक्सलियों के सप्लाई चेन को ध्वस्त करने का कार्य करें।
सड़क निर्माण को गति दें
बैठक में मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया कि केंद्रीय सड़क मंत्रालय द्वारा स्वीकृत उग्रवाद प्रभावित 19 जिलों में 15 पथों और 63 पुलों का निर्माण कार्य जारी है। काम 94 और 74 प्रतिशत पूर्ण हो चुका है। 363 किमी के विरुद्ध 341 किलोमीटर के निर्माण का काम पूरा हो चुका है। वहीं 63 पुलों के निर्माण के विरुद्ध 47 पुलों का निर्माण हो चुका है। इस पर मुख्यमंत्री ने इन क्षेत्रों में निर्माण कार्य को गति देने का आदेश दिया।