इन दिनों दिल्ली और मुंबई में सियासी गहमागहमी तेज है। दिल्ली में जहां विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार जोरों पर है, वहीं मुंबई में शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' में पाकिस्तानी और बांग्लादेशी मुसलमान घुसपैठियों के खिलाफ एक बार फिर से आवाज बुलंद की गई है। शिवसेना ने ‘सामना’ में लिखा है कि पाकिस्तान और बांग्लादेश के जो मुस्लिम भारत में रह रहे हैं, उनका पता लगाकर उन्हें देश से बाहर किया जाना चाहिए। इस बीच, बाबा रामदेव को दिल्ली के शाहीनबाग जाने और प्रदर्शनकारियों से मिलने की अनुमति नहीं दी गई।
राज ठाकरे पर भी तंज
शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में एमएनएस अध्यक्ष राज ठाकरे पर भी तंज कसा गया है। शिवसेना ने सामना में कहा कि पाकिस्तानी और बांग्लादेशी मुसलमानों को बाहर निकालने के लिए किसी राजनीतिक दल को अपना झंडा बदलना पड़े, ये मजेदार है। दूसरी बात ये कि इसके लिए एक नहीं, दो झंडों की योजना बनाना ये दुविधा या फिसलती गाड़ी के लक्षण हैं। बता दें कि राज ठाकरे और उनकी 14 साल पुरानी पार्टी का गठन मराठा मुद्दे पर हुआ था, लेकिन अब उनकी पार्टी हिंदुत्ववाद की ओर जाती दिख रही है।
महाराष्ट्र में शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपीगठबंधन की है सरकार
शिवसेना का बयान उस समय सामने आया है, जब नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स (एनआरसी) को लेकर विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दल एकजुट हो गए हैं। फिलहाल, महाराष्ट्र में शिवसेना, कांग्रेस और नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) गठबंधन की सरकार है।
सीएम पद को लेकर बीजेपी-शिवसेना में आई थी दरार
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और शिवसेना के बीच दरार आ गई थी। इसके बाद शिवसेना ने बीजेपी से किनारा कर लिया था और कांग्रेस व एनसीपी के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बना ली।
लोकसभा में सीएए पर मोदी सरकार को मिला था शिवसेना का साथ
भारतीय जनता पार्टी से अलग होने के बावजूद शिवसेना ने नागरिकता संशोधन अधिनियम पर लोकसभा में मोदी सरकार का साथ दिया था। हालांकि बाद में राज्यसभा में शिवसेना ने वॉकआउट किया था और मोदी सरकार संसद से नागरिकता संशोधन अधिनियम पारित कराने में कामयाब हो गई थी।
नागरिकता संशोधन अधिनियम पर क्या बोली मोदी सरकार
मोदी सरकार का कहना है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धर्म के आधार पर उत्पीड़न का शिकार हुए अल्पसंख्यकों यानी हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, पारसी और बौद्ध समुदाय के शरणार्थियों को नागरिकता देने के लिए नागरिकता संशोधन अधिनियम बनाया गया है। इसका हिंदुस्तान के मुसलमानों से कोई लेना-देना नहीं हैं, इस कानून में सिर्फ नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है।
मोदी सरकार पर हमलावर हैं विरोधी दल
सीएए, एनआरसी और एनपीआर को लेकर कांग्रेस और विरोधी दल मोदी सरकार पर लगातार हमलावर हैं। कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों का कहना है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम धर्म के आधार पर भेदभाव करता है। इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दी गई है। साथ ही इसके खिलाफ दिल्ली के शाहीन बाग समेत देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। इसको लेकर हिंसक प्रदर्शन भी देखने को मिल चुके हैं।