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क्या बीएचयू से भी ज्यादा असुरक्षित है छत्तीसगढ़ का केन्द्रीय विश्वविद्यालय?

देश के विश्वविद्यालयों में एक के बाद एक हो रही घटनाओं से महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे...
क्या बीएचयू से भी ज्यादा असुरक्षित है छत्तीसगढ़ का केन्द्रीय विश्वविद्यालय?

देश के विश्वविद्यालयों में एक के बाद एक हो रही घटनाओं से महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। हाल ही में बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के मामले ने देशव्यापी आक्रोश का रूप लिया। ऐसे में छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में स्थित गुरु घासीदास विश्वविद्यालय (जीजीयू, सेंट्रल यूनिवर्सिटी) की एक छात्रा की खुदकुशी ने एक बार फिर से सोचने पर मजबूर कर दिया है।

जीजीयू में बीएड स्पेशल एजुकेशन प्रथम वर्ष की प्रशिक्षार्थी पूनम चंद्रा ने बीते छह अक्टूबर को बिलासपुर (सरकंडा) स्थित अपने मामा के घर में ही फांसी लगाकर जान दे दी। मृतक छात्रा कोरबा जिले की रहने वाली थी और बिलासपुर में अपने मामा के यहां रहकर पढ़ाई कर रही थी।

पत्र ने खोली कलई

विश्वविद्यालय प्रशासन पर आरोप तब लगने शुरू हुए जब मामले की जांच कर रही पुलिस ने पीड़िता के कमरे से विभागाध्यक्ष (एचओडी) के नाम शिकायत पत्र बरामद किया। पत्र के अनुसार छात्रा ने अपने एचओडी एचसी वझलवार को पांच अक्टूबर को एक पत्र लिखा था। पत्र में दिव्य कुमार नाम के अपने सहपाठी पर उसने प्रताड़ित करने का आरोप लगाया।

पूनम चंद्रा के द्वारा लिखा गया पत्र

हालांकि एचसी वझलवार ऐसी किसी शिकायत के मिलने से साफ इंकार कर रहे हैं। लेकिन छात्रों की ओर से कहा जा रहा है सुरक्षा वगैरह को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन का रवैया पहले से ही काफी उदासीन रहा है। उनका कहना है कि शिकायत नहीं सुने जाने पर तंग आकर छात्रा ने फांसी लगाकर आत्महत्या की है। छात्रों द्वारा यह भी आरोप लगाया जा रहा है कि एचओडी ने पत्र में अशुद्धियों की बात कर इसे लेने से मना कर दिया था। आउटलुक ने एचसी वझलवार से बात करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।

विश्वविद्यालय ने गठित की जांच कमेटी

इधर यूनिवर्सिटी प्रशासन ने एचओडी एचसी वझलवार के खिलाफ पांच सदस्यीय जांच टीम का गठन कर दिया है। इसमें प्रो. अनुपमा सक्सेना, प्रो. मनीष श्रीवास्तव, अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ. एमएन त्रिपाठी, चीफ प्रॉक्टर प्रो. वीएस राठौर और कुलपति द्वारा नामित भारती अहिरवार शामिल हैं।

छात्रा की है कमजोरी, नहीं बताई प्रताड़ना की बात: कुलपति

जीजीयू की कुलपति प्रो. अंजिला गुप्ता इस खुदकुशी की वजह छात्रा की कमजोरी मानती हैं। वे इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए आउटलुक को बताती हैं, "विश्वविद्यालय प्रशासन को छात्रा की प्रताड़ना से जुड़ी कोई शिकायत नहीं मिली थी। हमारे यहां कोई असुरक्षा का माहौल नहीं है। विश्वविद्यालय के खिलाफ बेवजह ऐसा माहौल बनाया जा रहा है।" कुलपति का कहना है कि एचओडी को भी इस संबंध में कोई जानकारी छात्रा की ओर से नहीं दी गई थी। 

बता दें कि उच्चस्तरीय जांच समिति की ओर से अभी तक रिपोर्ट नहीं आई है लेकिन कुलपति गुप्ता ने एचओडी को पहले ही दोषमुक्त करार दिया है।

डरी हुई हैं छात्राएं

विश्वविद्यालय छात्र परिषद के पूर्व अध्यक्ष नितेश साहू का कहना है कि पूनम की मामी भारती जो विश्वविद्यालय की छात्रा हैं, वह काफी डरी हुई हैं। इसके अलावा अन्य सहपाठी कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। आउटलुक  ने भी भारती से बातचीत करने की कोशिश की लेकिन उनका फोन बंद है।

गुस्से में हैं छात्र

विश्वविद्यालय के छात्र इस घटना को लेकर काफी आक्रोशित हैं। वे आरोपी के साथ–साथ एचओडी प्रोफेसर एचसी वझलवार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। गुस्साए छात्रों ने कैंडल मार्च निकालकर मृतक छात्रा के लिए न्याय की मांग की।

प्रदर्शन करते छात्र

छात्रों ने चेतावनी दी है कि अगर मामले में कड़ी कार्रवाई नहीं हुई, तो वे उग्र आंदोलन करेंगे। पूर्व छात्र परिषद अध्यक्ष नितेश साहू का कहना है कि अगर आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं की जाएगी तो वे यूनिवर्सिटी बंद का आयोजन करेंगे। पूर्व छात्र परिषद के सिद्धार्थ शुक्ला का आरोप है कि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों से हमेशा पल्ला झाड़ते रहे हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय की सुरक्षा पर चिंता जताते हुए कहा, "आज स्थिति ये है कि हमारा जीजीयू बीएचयू से भी ज्यादा असुरक्षित हो गया है।" 

क्या कहती है पुलिस?

इधर कोनी पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। पुलिस ने छात्रा का मोबाइल कब्जे में ले लिया है और उसमें आए कॉल्स और मैसेज की जांच कर रही है। वहीं आरोपी लड़के दिव्य कुमार को फरार बताया जा रहा है, जिसकी तलाश पुलिस कर रही है।

सांसद ने बताई विवि की गलती, एचआरडी से करेंगे शिकायत

बिलासपुर लोकसभा से भाजपा सांसद लखनलाल साहू ने इस घटना के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन को दोषी ठहराया। आउटलुक  से उन्होंने कहा कि अगर छात्रा की बात सुनी जाती तो यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना नहीं होती। उन्होंने कहा, “मैं इस पूरे मामले की शिकायत मानव संसाधन मंत्रालय से करूंगा।”

सुरक्षा पर उठते रहे हैं सवाल

गौरतलब है कि जीजीयू में यह कोई पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी कई गंभीर मामले सामने आ चुके हैं। सितंबर 2017 में लॉ की छात्राओं ने अपने विभाग के शिक्षक पर अभद्र व्यवहार करने और रात में मोबाइल से फोन करने की शिकायत की थी। बात नहीं करने पर क्लास में प्रोफेसर प्रताड़ित करते थे। हालांकि इस मामले में विवि प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए प्रोफेसर को बर्खास्त किया था।   

वहीं दिसंबर 2016 में पत्रकारिता की छात्रा प्रज्ञा जायसवाल ने अपने रूम में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। इस मामले में विवि प्रशासन ने कोई जांच नहीं की। जबकि छात्रों द्वारा गड़बड़ी की आशंका जताई गई थी। वहीं सितंबर 2015 में एमएससी की दो छात्राएं प्रैक्टिकल के दौरान बॉयलर में हुए ब्लास्ट में गंभीर रूप से झुलस गई थीं। इसे भी गंभीरता से नहीं लिया गया था।

इस तरह कैसे बदलेगी आदिवासी बाहुल्य राज्य की तस्वीर?

छत्तीसगढ़ स्थित गुरु घासीदास विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले अधिकतर विद्यार्थी अनुसूचित जाति तथा जनजाति के हैं। 2015-16 में लगभग 7000 विद्यार्थियों का नाम दर्ज रहा है, जिसमें लगभग तीन हजार छात्राएं रही हैं। अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों की संख्या करीब 1000 रही है, वहीं जनजाति के छात्रों की संख्या लगभग 700 रही है, अन्य पिछड़ा वर्ग के लगभग 2000 विद्यार्थी अध्ययनरत रहे हैं। लेकिन लोगों का मानना है कि इस तरह की घटनाओं से इनकी संख्या में काफी गिरावट आ सकती है। ऐसे भी छत्तीसगढ़ में उच्च शिक्षा में प्रवेश लेने वाले छात्रों का अनुपात राष्ट्रीय अनुपात से भी कम है।

 

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