भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व शिक्षा मंत्री घनश्याम तिवाड़ी ने राजस्थान भाजपा को 'पाप' करार दिया है। बीते करीब चार साल से विरोध का बिगुल बजाने वाले सांगानेर विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी विधायक ने अपनी ही पार्टी की नाक में दम कर रखा है। तमाम शिकायतों के बाद भी उनकी सुनवाई नहीं होने पर तिवाड़ी ने आखिर बीजेपी से आरपार की लड़ाई शुरू कर दी है। पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए तिवाड़ी ने कहा है कि राजस्थान में भाजपा पाप है और अब उनका भाजपा से कोई संबंध नहीं है। तिवाड़ी के इस बयान के बाद यह साफ हो गया है कि उनकी लड़ाई अब केवल राज्य की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से नहीं रही है, बल्कि उनके द्वारा भेजी गईं तमाम शिकायतों को नजरअंदाज करने वाले पार्टी आलाकमान से भी उन्होंने सियासी जंग करने का मूड बना लिया है।
इस जंग की शुरुआत उनके संगठन दीनदयाल वाहिनी द्वारा मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से सिविल लाइंस स्थित बंगला नंबर 13 खाली करने की मांग को लेकर की गई है। वाहिनी के दर्जनों कार्यकर्ताओं द्वारा उस कानून की प्रतियां जलाई गईं, जो बीते साल ही विधानसभा में 'मंत्री-विधायक वेतन विधेयक-2017' पास किया गया था। अब इस कानून की प्रतियां पूरे प्रदेश के हर जिले में जलाने का ऐलान किया गया है। तिवाड़ी का कहना है कि इस बिल के जरिए सीएम वसुंधरा राजे सिविल लाइंस के बंगला नंबर 13 को आजीवन अपने कब्जे में रखने और सालाना करीब 2 करोड़ रुपए बतौर खर्चे के सरकार से वसूलने का प्रोग्राम बना चुकी हैं। उनका कहना है कि इस बिल का विरोध उन्होंने विधानसभा में तब भी किया था, जब विपक्ष में थे और अब भी किया है, जब उनकी पार्टी सत्ता में है।
क्या है बंगले का विवाद
दरअसल, मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को बंगला नंबर 13, तब अलॉट किया गया था, जब वह नेता प्रतिपक्ष थीं। परम्परा के अनुसार, पूर्व मुख्यमंत्री को कैबिनेट मंत्री के समान सुविधाएं देय हैं। ऐसे में अधिकारिक रूप से मुख्यमंत्री निवास, बंगला नंबर 8 को खाली कर सीएम राजे ने 2009 में बंगला नंबर-13 संभाल लिया था। उसके बाद 2013 में बीजेपी सीएम राजे के नेतृृत्व में फिर सत्ता में लौटी लेकिन राजे ने मुख्यमंत्री के अाधिकारिक आवास यानी बंगला नंबर 8 में जाने के बजाय बंगला नंबर-13 को ही सीएमआर बना लिया। बकौल तिवाड़ी, अब राजे ने बंगला नंबर-13 को एक किले के रूप में विकसित कर लिया है, जहां पर सरकारी पैसे से काफी खर्चा कर करोड़ों रुपयों से सबकुछ विदेशी आइटम स्थापित किए गए हैं। इतना ही नहीं तिवाड़ी कहा कहना है कि मंत्री-विधायक वेतन विधेयक-2017 के जरिए सीएम राजे इस बंगले की आजीवन मालकिन बनने की फिराक में हैं।
अब क्यों बढ़ा विवाद
हालांकि, बीते चार साल के विरोध में से दो साल तो बीजेपी नेता तिवाड़ी ने सीएम राजे के इस बंगले का विरोध करने में ही निकाल दिए। उनको कहना है कि इसके चलते उन्होंने राज्यपाल कल्याण सिंह को भी उक्त बिल पर हस्ताक्षर नहीं करने की अपील की थी, लेकिन चूंकि कल्याण सिंह भी पूर्व में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं, ऐसे में उनके पास भी वहां पर सरकारी बंगला है। जिसको वे खाली करने के मूड में नहीं हैं। बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट द्वारा उत्तर प्रदेश की तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सरकार द्वारा पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन सरकारी बंगला देने वाले कानून को अवैध करार दिया गया है। अदालत ने यूपी में सभी पूर्व मुख्मंत्रियों और मंत्रियों से दो माह के भीतर बंगले खाली करने के आदेश दिए हैं। शीर्ष अदालत के द्वारा दिए गए इस एतिहासिक आदेश के बाद बीजेपी नेता तिवाड़ी एक बार फिर से सीएम राजे के खिलाफ मुखर हो रहे हैं। उनका कहना है कि राज्य के करीब 2 हजार करोड़ रुपए की इस संपदा को वह किसी भी सूरत में डकारने नहीं देंगे।
असल वजह यह भी हो सकती है
उल्लेखनीय है कि 2003 से 2008 के कार्यकाल में तिवाड़ी सीएम राजे की सरकार में कैबिनेट मंत्री थे। लेकिन सत्ता खिसकने के बाद नेता प्रतिपक्ष को लेकर हुए विवाद के बाद तिवाड़ी भी उन नेताओं में शामिल थे, जिन्होंने वसुंधरा राजे का विरोध किया था। बाद में इन दोनों नेताओं में तल्खी बढ़ती गई। 2013 में बीजेपी फिर सत्तासीन हुई और वसुंधरा राजे फिर से मुख्यमंत्री बनीं। लेकिन तिवाड़ी व राजे के बीच बढ़ी राजनीतिक दूरियों में कमी नहीं आईं। इस काल में तिवाड़ी को मंत्री भी नहीं बनाया गया। हालांकि, चुनाव लड़ने से पहले ही तिवाड़ी ने यह कहना शुरू कर दिया था, कि राजे के नेतृत्व में वह मंत्री पद स्वीकार नहीं करेंगे। इस बयान को तिवाड़ी आज भी दोहरा रहे हैं। दोनों नेताओं के बीच तब दूरियां और बढ़ गईं, जब सांगानेर क्षेत्र में पार्टी के एक कार्यक्रम के दौरान उन पर पार्टी के ही एक अन्य धड़े द्वारा हमला किया गया, लेकिन उसकी शिकायत के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं की गई। ब्राह्मण समुदाय से आने वाले राज्य भाजपा के यह दिग्गज नेता सीएम राजे को पिछले चार साल से विधानसभा और बाहर बराबर विरोध कर रहे हैं। राजे को सीएम पद से हटाने को लेकर तिवाड़ी आलाकमान को भी कई पत्र लिखे हैं।
अलग पार्टी बना चुके हैं तिवाड़ी
तिवाड़ी पिछले 3 साल से दीनदयाल वाहिनी नामक अपने पुराने संगठन को जिंदा कर सरकार से लड़ रहे हैं। इस दौरान उनके कांग्रेस में जाने के कयास भी खूब लगे। बीजेपी के नेताओं द्वारा भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए। जिसके जवाब में तिवाड़ी ने कोर्ट में अवमानना को केस दायर कर दिया। अब तिवाड़ी 'भारत वाहिनी पार्टी' के नाम से अगल दल बना चुके हैं। उन्होंने कहा है कि वह खुद सहित सभी 200 विधानसभा सीटों पर टिकट देकर अपने कार्यकर्ताओं को चुनाव लड़ाएंंगे और बीजेपी-कांग्रेस को दंडित करेंगे। देखना बेहद दिलचस्प होगा कि तिवाड़ी का यह विरोध हमेशा जारी रहता है या मोदी-शाह की जोड़ी द्वारा राजस्थान में चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी हाथ में लेेने के साथ ही खत्म हो जाता है।