शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में संपादकीय के जरिये सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर निशाना साधा है। शिवसेना ने कहा कि हिंदू उत्सवों के संबंध में इस प्रकार की बाधाएं लगाने के प्रयासों को लोग विफल कर देंगे। सेना ने कहा, गणेशोत्सव, दही-हांडी और नवरात्रि त्योहार सभी हमारी मान्यताओं का हिस्सा हैं। हमें निर्देश देने वाले न्यायालयों को कम से कम इस मुद्दे पर लक्ष्मण रेखा पार नहीं करनी चाहिए। संपादकीय में कहा गया, लोगों ने लोकतांत्रित तरीके से अपनी सरकार चुनी है। यह काम सरकार को करने दीजिए। सरकार के शीर्ष लोग इस बात को जानते हैं कि क्या सही है और क्या गलत है। यदि सरकार को नकारने और लोकतंत्र की हत्या का प्रयास किया जाएगा, तो सभी मोर्चों पर राष्ट्रीय व्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी।
सामना के संपादकीय में कहा गया, हिंदुओं के त्यौहार और रीति-रिवाज जारी रहेंगे। लोग इनमें बाधा डालने के प्रयासों को विफल कर देंगे और इस काम में शिव सेना अगुवाई करेगी। सेना ने कहा, जब अदालतें सरकार का काम करने लगेंगी, तो उन्हें बदनामी सहने के लिए भी तैयार रहना चाहिए। संपादकीय में कहा गया कि ऐसा इसलिए है क्योंकि अदालतें वे फैसले करने की कोशिश कर रही हैं जिन्हें करने की सरकार से उम्मीद की जाती है। उत्सवों के बारे में अदालतों के इस तरह के फतवों (निर्देशों) से जनता में गुस्सा है।
शिवसेना की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है, जब एक दिन पहले मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने कहा कि महाराष्ट्र के महाधिवक्ता उच्चतम न्यायालय में दही-हांड़ी उत्सव को लेकर होने वाली अगली सुनवाई में सरकार की पैरवी करेंगे। दही-हांडी उत्सव समन्वय समिति के प्रतिनिधि मंडल ने उच्चतम न्यायालय के बुधवार के निर्णय पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस से मुलाकात की थी। उच्च्तम न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि दही-हांडी की उंचाई 20 फुट से ज्यादा नहीं होनी चाहिए और इसमें मानव पिरामिड बनाने वाले प्रतिभागियों की उम्र 18 साल से अधिक होनी चाहिए। वहीं महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे ने इस तर्क को अदालत में जोरदार तरीके से नहीं रखने पर बृहस्पतिवार को सरकार की आलोचना की।