सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि वह संपत्तियों के विध्वंस के मुद्दे पर सभी नागरिकों के लिए दिशानिर्देश निर्धारित करेगा, किसी विशेष समुदाय के लिए नहीं।
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि उसके निर्देश पूरे भारत में लागू होंगे तथा यह स्पष्ट किया जाएगा कि केवल इसलिए कि कोई व्यक्ति आरोपी या दोषी है, यह उसकी संपत्ति को ध्वस्त करने का आधार नहीं हो सकता।
न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने कहा, "हम जो भी नियम बना रहे हैं, हम एक धर्मनिरपेक्ष देश हैं। हम इसे सभी नागरिकों और सभी संस्थाओं के लिए बना रहे हैं, किसी विशेष समुदाय के लिए नहीं।"
पीठ ने कहा कि किसी विशेष धर्म के लिए अलग कानून नहीं हो सकता, तथा वह सार्वजनिक सड़कों, सरकारी भूमि या वनों पर किसी भी अनधिकृत निर्माण को संरक्षण नहीं देगी।
पीठ ने कहा, "हम यह सुनिश्चित करेंगे कि हमारा आदेश किसी भी सार्वजनिक स्थान पर अतिक्रमणकारियों की मदद न करे।"
बता दें कि मामले की सुनवाई चल रही है। शीर्ष अदालत उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है, जिनमें आरोप लगाया गया है कि कई राज्यों में अपराध के आरोपियों सहित अन्य की संपत्तियों को ध्वस्त किया जा रहा है।
शीर्ष अदालत ने 17 सितंबर को कहा था कि 1 अक्टूबर तक बिना उसकी अनुमति के किसी भी संपत्ति को ध्वस्त नहीं किया जाएगा, जिसमें अपराध के आरोपियों की संपत्ति भी शामिल है। न्यायालय ने कहा था कि अवैध रूप से ध्वस्तीकरण का एक भी मामला संविधान के "मूल सिद्धांतों" के खिलाफ है।
सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया था कि उसका आदेश उन मामलों में लागू नहीं होगा, जहां सड़क, गली, फुटपाथ, रेलवे लाइन या किसी जल निकाय जैसे किसी सार्वजनिक स्थान पर कोई अनधिकृत संरचना है और उन मामलों में भी लागू नहीं होगा, जहां न्यायालय द्वारा ध्वस्तीकरण का आदेश दिया गया हो।