लोकसभा चुनाव में हार के बाद जमीनी नेताओं और कार्यकर्ताओं को खुश करने की दिशा में कांग्रेस और छत्तीसगढ़ सरकार ने कदम उठाना शुरू कर दिया है। कांग्रेस ने तय किया है कि इस बार निगम मंडल में किसी विधायक या हवा-हवाई नेताओं को पद नहीं दिया जायेगा। निगम-मंडलों में पद आम कार्यकर्ता और जमीनी नेताओं को दिया जायेगा। प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मौजूदगी में हुई इस बैठक में ये अहम फैसला लिया गया।
पहले ही कांग्रेस ने इस बात के संकेत दे दिये थे कि इस बार निगम मंडलों में आम कार्यकर्ताओं व नेताओं को ही जिम्मेदारी दी जायेगी। दरअसल लोकसभा चुनाव के बाद सरकार ने निगम मंडलों में पद बांटने की बात कही थी, अब जबकि चुनाव खत्म हो गया है और आशातीत कामयाबी नहीं मिली है, लिहाजा निकाय चुनाव के पहले निगम मंडलों के जरिये कार्यकर्ताओं को चार्ज करने की तैयारी की है।
प्रदेश प्रभारी पी. एल. पुनिया की अध्यक्षता में अलग-अलग बैठकों के लिए जरिये कांग्रेस हार की समीक्षा कर रही है। कांग्रेस विधायक दल की बैठक के साथ-साथ प्रदेश पदाधिकारियों और फिर जिलाध्यक्षों की भी बैठक कांग्रेस ने ली और हार की वजह की तलाश की। छत्तीसगढ़ में इस साल के अंत में नगरीय निकाय चुनाव होने हैं , ऐसे में वह अभी से तैयारी शुरू कर दी है। 2018 के विधानसभा चुनाव में 90 में से 68 सीटें जीतने वाली कांग्रेस लोकसभा चुनाव में 11 में से 9 सीटें ही जीत पाई। हालांकि कांग्रेस इस बात से संतुष्ट है कि 2104 के मुकाबले उसे यहाँ एक सीट ज्यादा मिली। पुनिया ने यह बात बैठक में कही। बैठक में लोकसभा चुनाव में कार्यकर्ताओं की नाराजगी की बात सामने आई। इसके बाद उन्हें संतुष्ट करने की रणनीति बनाई गई।