बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के नाम बदलने को लेकर उत्तर प्रदेश की राजनीति में हलचल तेज है। राज्यपाल की सिफारिश को मंजूरी देते हुए योगी सरकार ने उनका नाम बदलकर 'डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर' किए जाने का फैसला लिया है। इस पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने भाजपा पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि यह कदम सस्ती और नकली लोकप्रियता हासिल करने के लिए उठाया गया है जबकि बाबा साहेब के अनुयायियों के खिलाफ अत्याचार हो रहे हैं।
This step is just for raking fake & cheap kind of popularity, while on the contrary Baba Saheb's followers are being inflicted with atrocities: BSP Chief Mayawati on UP govt's order to introduce the word ‘Ramji’ as middle name of Dr BR Ambedkar in all records of the state. pic.twitter.com/BDYOqOBqqh
— ANI UP (@ANINewsUP) March 29, 2018
वहीं, भाजपा के भीतर से ही इस फैसे के खिलाफ आवाज उठ रही है। भाजपा सांसद उदित राज का कहना है कि डॉ. भीमराव अंबेडकर के नाम के मध्य में रामजी लिखे जाने से अनावश्यक विवाद खड़ा किया गया है। इससे दलित भी नाराज हैं।
उन्होंने कहा, “मुझे उनके नाम को बदलने का कोई कारण नहीं मिल रहा है, यह व्यक्ति की स्वतंत्रता है कि वह कैसे याद रखना चाहते हैं , अनावश्यक विवाद पैदा करने की जरूरत क्यो है? दलित समुदाय ने अपनी नाराजगी व्यक्त की है।
सरकार का कहना है कि संविधान के पृष्ठ में बाबा साहब का डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर के नाम से हस्ताक्षर है। राम नाईक ने प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और महासभा को पत्र लिखकर आंबेडकर के नाम का सही उच्चारण और सही नाम लिखने के लिए ध्यान आकृष्ट कराया था। महाराष्ट्र में पुरानी परंपरा के आधार पर लोग पिता का नाम बेटे के मध्य नाम के तौर पर उपयोग करते आए हैं।
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, राज्यपाल राम नाईक ने कहा, “मैं एक मराठी हूं और वह भी थे। हिंदी भाषी राज्य उनके नाम को गलत तरीके से लिख रहे हैं। जैसे उनका नाम भीम और राव दो शब्दों के तौर में लिखा जाता है, हालांकि, लिखने का सही तरीका भीमराव है।
बता दें कि सरकार ने डॉ. भीमराव आंबेडकर का नाम बदलकर डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर करने के लिए बुधवार को सभी विभागों और इलाहाबाद-लखनऊ की सभी हाई कोर्ट की बेंचों को आदेश दिया है।