बिजली विभाग के कर्मचारियों और पेंशनरों के 2,600 करोड़ के घोटाले के मामले में जांच कर रही ईओडब्ल्यू ने पूर्व एमडी एपी मिश्रा को गिरफ्तार कर लिया है, उन्हें सपा मुखिया अखिलेश यादव का खास माना जाता था। एपी मिश्रा पर प्रदेश के बिजली विभाग के कर्मचारियों के पीएफ का पैसा निजी कंपनी डीएचएफएल कंपनी में लगाने का आरोप है। इसके अलावा सरकार ने देर रात यूपीपीसीएल की एमडी अपर्णा यू को भी हटा दिया। उनके स्थान पर केंद्र की प्रतिनियुक्ति से लौटे एम देवराज को एमडी बनाया गया है।
मामले की जांच के लिए सरकार ने सीबीआई जांच के निर्देश दिए हैं। सीबीआई के केस लेने के पहले तक ईओडब्ल्यू के डीजी को जांच के निर्देश दिए गए हैं। ईओडब्ल्यू ने सोमवार को ट्रस्ट के कार्यालय को सील कर दिया था। पुलिस की टीमें सोमवार रात से लखनऊ के गोमतीनगर और अलीगंज स्थित यूपीपीसीएल के पूर्व एमडी एपी मिश्रा के आवास पर नजर बनाई हुई थीं, उनसे अज्ञात स्थान पर ईओडब्ल्यू की टीम पूछताछ कर रही है। आरोप है कि सपा सरकार में उन्हें नियम विरुद्ध तरीके से तीन बार एक्सटेंशन मिला था। इन्होंने पूर्व सीएम अखिलेश यादव पर एक किताब लिखी थी, जिसका विमोचन तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव ने अपने सरकारी आवास पर किया था।
अखिलेश ने कहा- एक्सटेंशन देना और घोटाला अलग चीजें
ऊर्जा विभाग के पूर्व MD एपी मिश्रा को एक्सटेंशन देने के आरोप पर अखिलेश यादव ने कहा कि एक्सटेंशन देना अलग मुद्दा है और घोटाला अलग बात है। अखिलेश यादव का आरोप-सरकार को बताना चाहिए कि पैसा किसने भेजा है, जिन्होंने भेजा है उनकी जिम्मेदारी बनती है। सीएम को इस्तीफा देना चाहिए। उन्होंने कहा कि सीएम कमजोर हैं। वह मंत्री को नहीं हटा सकते। साथ ही उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के सिटिंग जज से जांच हो, तब सच्चाई सामने आएगी।
पीएफ घोटाले को लेकर मायावती ने साधा निशाना
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने यूपीपीसीएल कर्मचारियों की भविष्य निधि में हुए घोटाले को लेकर सरकार पर हमला बोला है। मायावती ने कहा है कि सरकार की लापरवाही की वजह से इसका ठोस परिणाम नहीं निकलने वाला है। सरकार को बड़े ओहदे पर बैठे हुए लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है।
बसपा सुप्रीमो ने मंगलवार को ट्विट कर कहा, 'इस पीएफ महाघोटाले में यूपी सरकार की पहले घोर नाकामी व अब ढुलमुल रवैये से कोई ठोस परिणाम निकलने वाला नहीं है बल्कि सीबीआई जांच के साथ-साथ इस मामले में लापरवाही बरतने वाले सभी बड़े ओहदे पर बैठे लोगों के खिलाफ तत्काल सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है जिसका जनता को इंतजार है।'
अपने दूसरे ट्विट में मायावती ने कहा कि यूपी के हजारों बिजली इंजीनियरों एवं कर्मचारियों की कमाई के भविष्य निधि (पीएफ) में जमा 2200 करोड़ से अधिक धन निजी कंपनी में निवेश के महाघोटाले को भी बीजेपी सरकार रोक नहीं पाई तो अब आरोप-प्रत्यारोप से क्या होगा? सरकार सबसे पहले कर्मचारियों का हित व उनकी क्षतिपूर्ति सुनिश्चित करे।
आज विरोध प्रदर्शन करेंगे बिजली कर्मचारी
बिजली विभाग में घोटोले को लेकर सरकार को चौतरफा हमलों का सामना करना पड़ रहा है। कर्मचारी नेताओं की यूपीपीसीएल प्रबंधन से वार्ता बेनतीजा होने के बाद आज बिजली कर्मचारी शक्ति भवन मुख्यालय सहित प्रदेश भर में विरोध प्रदर्शन करेंगे। साथ ही 18-19 नवम्बर को 48 घण्टे कार्य बहिष्कार करेंगे। वहीं, कांग्रेस ने मामले को लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। लगातार हमले से बिफरे ऊर्जा मंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष अजय कुमार 'लल्लू' द्वारा उनके ऊपर लगाए गए निजी आरोप मनगढंत, तथ्यों से परे और शर्मनाक हैं। उन्हें अपने इन निंदा योग्य आरोपों पर अविलंब माफी मांगनी चाहिए, नहीं तो वह आपराधिक मानहानि का मुकदमा झेलने के लिए तैयार रहें।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने ऊर्जा मंत्री पर किया पलटवार
ऊर्जा मंत्री पर पलटवार करते हुए कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि 24 मार्च को डीएचएफएल में पहली बार पैसा जमा किया गया, तब प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी थे और श्रीकान्त शर्मा ऊर्जा मंत्री थे। भाजपा लगातार प्रदेश की जनता से झूठ बोल रही है, ताकि उसका भ्रष्टाचार छुप सके। ऊर्जा मंत्री की बौखलाहट बता रही है कि दाल में कुछ काला है। उन्होंने कहा कि हम ऊर्जा मंत्री से मांग करते हैं कि एक प्रेस कान्फ्रेंस करके वे इन सवालों का जवाब दे दें।
अभी तक क्यों नहीं पकड़ा जा सका डीएचएफएल की ओर से डील करने वाला अमित प्रकाश
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने पूछा, डीएचएफएल में निवेश का अनुमोदन कब हुआ? कब हस्ताक्षर किया गया?, मार्च 2017 के बाद से दिसंबर 2018 तक किन-किन तारीखों में निवेश किया?, अब तक डीएचएफएल से हुए पत्राचार, डीएचएफएल की ओर से कौन लोग बात कर रहे थे? सार्वजनिक किया जाए?, आखिर भाजपा को सबसे ज्यादा व्यक्तिगत चंदा देने वाले वधावन की निजी कंपनी डीएचएफएल को ही नियमों को ताक पर रखते हुए कर्मचारियों की जीवन की पूंजी क्यों सौंपी गई?, क्या मंत्री के विभाग में हजारों करोड़ के संदिग्ध सौदे छोटे स्तर के अधिकारी कर लेते हैं और उन्हें खबर नहीं होती? डीएचएफएल की ओर से डील करने वाला अमित प्रकाश अभी तक क्यों नहीं पकड़ा जा रहा है? यह अमित प्रकाश ऊर्जा मंत्री से या उनके रिश्तेदारों से कब-कब मिला?, ईओडब्लू ने अभी तक विजिटर बुक क्यों नहीं सील की? क्या मुलाकातियों की सूची में हेराफेरी की जा रही है?
प्रियंका गांधी ने भी साधा था योगी सरकार पर निशाना
पीएफ घोटालो को लेकर कांग्रेस मचासचिव प्रियंका गांधी ने योगी सरकार पर सवाल उठाए थे। प्रियंका गांधी ने इसे लेकर ट्वीट किया, 'एक खबर के अनुसार भाजपा सरकार बनने के बाद 24 मार्च 2017 को पॉवर कोर्पोरेशन के कर्मियों का पैसा डिफॉल्टर कम्पनी डीएचएफएल में लगा। सवाल ये है कि भाजपा सरकार दो साल तक चुप क्यों बैठी रही? कर्मचारियों को ये बताइए कि उनकी गाढ़ी कमाई कैसे मिलेगी?' उन्होंने आगे लिखा, 'और किन-किन विभागों का पैसा डिफॉल्टर कम्पनियों में लगा है? सारी चीजें अभी सामने लाइए। जवाब तो देना ही होगा, मेहनत की गाढ़ी कमाई का सवाल है।'