उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत इस वक्त प्रदेश कांग्रेस में अलग-थलग से पड़ गए हैं। हरदा की सोशल मीडिया में जारी एक पोस्ट तो कम से कम यही इशारा कर रही है। इससे पहले पूर्व स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल की पैरोकारी में भी हरदा अकेले ही पड़ चुके हैं।
हरिद्वार में जिला पंचायत चुनाव चल रहे हैं। जिपं की अधिकांश सीटों पर कांग्रेस अपने प्रत्याशी घोषित कर चुकी है। बताया जा रहा है कि टिकटों के बंटवारे में हरदा के समर्थक खाली हाथ ही रहे हैं। वे सभी हरीश रावत से इसकी शिकायत कर रहे हैं। लेकिन हरदा शायद कुछ करने की स्थिति में नहीं हैं और वे सभी समर्थकों से माफी मांग रहे हैं।
हरदा ने अपनी फेसबुक पोस्ट में अपने दिल के दर्द को सार्वजनिक भी किया है। वे लिखतें हैं कि “हरिद्वार से मेरे कई वरिष्ठ साथियों, लंबे समय के सहयोगियों और बहुत सक्रिय कार्यकर्ता साथियों के टेलीफोन आ रहे हैं। वे बहुत उद्वेलित हैं, दु:खी भी हैं। मुझ पर अपना गुस्सा भी प्रकट कर रहे हैं, स्वाभाविक है। मुझसे अपनी भावनाएं नहीं कहेंगे तो किससे कहेंगे, मैं उनका पुराना साथी हूं। मगर मैं इतना ही सब साथियों से निवेदन करना चाहता हूं कि जिला पंचायत के टिकट का वितरण मेरे कार्य क्षेत्र में नहीं है और मुझे एक औपचारिक बैठक में बुलाने के अलावा उम्मीदवारों को लेकर मुझसे कोई चर्चा नहीं हुई है। प्रदेश कांग्रेस ने अपने अधिकार क्षेत्र में निर्णय लिया है। मैं केवल आपकी भावनाओं के साथ अपने आपको संबद्ध कर सकता हूं, क्षमा करें”।
साफ दिख रहा है कि इस वक्त प्रदेश कांग्रेस में हरदा को कोई पूछ ही नहीं रहा है। इससे पहले पूर्व स्पीकर कुंजवाल को लेकर भी ऐसा ही माहौल बन चुका है। हरदा चाहते थे कि कुंजवाल के समय की भर्तियों पर कांग्रेस उनका पक्ष ले। लेकिन पूरी कांग्रेस इस बात पर अड़ी रही कि राज्य गठन से अब तक हुईं सभी नियुक्तियों को जांच के दायरे में लिया जाए।