साल 2016 में कांग्रेस से नाराज होकर भाजपा में शामिल हुए हरक सिंह रावत अब फिर से कांग्रेस में शामिल होने जा रहे हैं। हालांकि उनके कांग्रेस में शामिल होने में एकमात्र बाधा हरीश रावत है। जाहिर हो कि साल 2016 में सिंह तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत को टारगेट करते हुए पार्टी छोड़े थे। उस समय हरक सिंह रावत सहित नौ बागी विधायक कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे।
कांग्रेस में शामिल होने की खबर के बीच आज उनका बयान आया है। हरक सिंह ने कहा, "मेरी आज सुबह बातचीत हुई है वे (हरीश रावत) आगे बताएंगे कि क्या होगा। वे मेरे बड़े भाई हैं, मैं अपने बड़े भाई से 100 बार भी माफी मांग सकता हूं।
उनके अनुसार ये कांग्रेस पार्टी का निर्णय है कि वो उन्हें पार्टी में शामिल करती है या नहीं। बकौल हरक सिंह जब 2016 में वो कांग्रेस से अलग हुए थे, तब परिस्थितियां अलग थीं।
वहीं, कुछ दिन पहले जब हरीश रावत से हरक सिंह रावत के कांग्रेस में शामिल होने की खबरों के बारे में पूछा गया तो था तब उन्होंने कहा था कि उनके कांग्रेस में शामिल होने में कोई समस्या नहीं है, अगर वो खुले तौर पर अपनी गलती स्वीकार करते है।
कल कैबिनेट मंत्री के एक करीबी ने एएनआई को बताया, "हरक सिंह रावत और उनकी बहू दिल्ली के लिए रवाना हो गए हैं। रावत नाराज हैं क्योंकि उनकी बहू को टिकट नहीं मिल रहा है।" यह पूछे जाने पर कि क्या रावत और उनकी बहू कांग्रेस में शामिल होने के लिए दिल्ली गए थे, मंत्री के बेहद करीबी ने स्पष्ट रूप से कहा कि अगर उनकी बहू को भाजपा से टिकट नहीं मिला तो वे कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं।
गौरतलब हो हरक सिंह को भाजपा से निष्कासित कर दिया गया है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इन्हें 6 साल के लिए निष्कासित किया। उत्तराखंड प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक ने हरक सिंह रावत को पार्टी और मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखाए जाने की पुष्टि की।
आपको बता दें कि उत्तराखंड के 70 विधानसभा सीटों पर मतदान 14 फरवरी को डाले जाएंगे और नतीजा 10 मार्च को निकलेंगे।