अयोध्या में एक नई जंग मुस्लिमो में चल पड़ी है ,मामला धन्नीपुर के मस्जिद का है जिस में ये सवाल उठ रहा है कि वो मस्जिद है या नही ।
इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ने 2021 में अयोध्या के धन्नीपुर गांव में मस्जिद के निर्माण का एलान कर दिया है।मस्जिद के साथ हॉस्पिटल, लाइब्रेरी, कम्युनिटी किचन, रिसर्च सेंटर और तमाम सुविधाओं का भी एलान किया है, और मस्जिद का विश्व स्तरीय डिजाइन भी दुनिया के सामने इसी हफ्ते पेश भी कर दिया है।
अब मस्जिद के शिलान्यास से पहले ही विवाद भी शुरू हो गया है।कभी बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक रहे और AIMPLB के सदस्य और मशहूर वकील जफरयाब जिलानी ने धन्नीपुर में बनने वाली मस्जिद के वजूद पर ही सवाल उठा दिए हैं, जिलानी का कहना है कि धन्नीपुर में 5 एकड़ मस्जिद की जमीन बाबरी मस्जिद के मुआवजे के रूप में मिली है,हम केस हार चुके हैं, लिहाज़ा इस्लाम में मस्जिद के बदली दूसरी जमीन लेने का कोई प्रावधान नहीं है, और ना शरिया कानून में इसकी इजाजत है और ना ही ये वक़्फ़ बोर्ड के कानून के लिहाज से सही है कि मस्जिद के बदले में कहीं और जमीन लेकर किसी दूसरी मस्जिद का निर्माण किया जाए,जफरयाब जिलानी कहते हैं कि इस बात को लेकर AIMPLB में भी एक राय है, और सभी की यही राय है।
दूसरी तरफ इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन के महासचिव अतहर हुसैन कहते हैं, कि जिलानी साहेब की तकरीर बेबुनियाद है, वो जाने माने वकील है और सुप्रीम कोर्ट के फैसले को देखे फिर बात कही , हमने किसी जमीन के बदले में जमीन नहीं ली है, ये जमीन सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड को कोर्ट ने दी है, जिसकी हमने 10 लाख रुपये खर्च करके रजिस्ट्री कराई है, और अब हम वहां सिर्फ मस्जिद नहीं, बल्कि हॉस्पिटल समेत दूसरी जरूरी चीजों का निर्माण करेंगे।
इस मुद्दे पर मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना यासूब अब्बास ने भी जिलानी की राय का समर्थन किया।और मस्जिद की जमीन को मुआवजे की जमीन बताया है। हासिम अनसारी के बेटे इकबार अंसारी ने भी जिलानी का समर्थन किया है। जानकर कहते है कि ये आपस के गुटों में मस्जिद को लेकर वर्चस्व की भी लड़ाई दिखाई देती है ।