केंद्र सरकार में ग्रामीण और शहरी विकास मंत्रालयों की जिम्मेदारियां संभाल रहे नरेंद्र सिंह तोमर की गिनती भाजपा के कद्दावर नेताओं में होती है। मध्यप्रदेश से आकर राष्ट्रीय राजनीति में अहम भूमिका निभाने वाले तोमर पार्टी के लिए संकटमोचक का काम भी करते रहे हैं।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभालने के साथ ही त्रिवेंद्र सिंह रावत की तुलना उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तेजी और तेवरों से की जा रही है। जबकि रावत मानते हैं कि पहाड़ में पहाड़ के हिसाब से रफ्तार रखनी पड़ती है।
जेएनयू में एमफिल और पीएचडी की सीटें घटाने के विवाद पर मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर की अपनी दलीलें हैं लेकिन वह कहते हैं कि उनके लिए देश में उच्च शिक्षा और शोध को बढ़ावा देना पहली प्राथमिकता है।
मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन का मानना है कि मोदी सरकार ने तीन साल में देश को आर्थिक स्थिरता प्रदान की है और सुधारों की दिशा में बड़े कदम बढ़ाए हैं। सार्वजनिक संसाधनों के आवंटन में भ्रष्टाचार पर अंकुश और जैम व्यवस्था को वे मोदी सरकार की बड़ी उपलब्धियां मानते हैं। लेकिन यह भी स्वीकार करते हैं कि तेज आर्थिक वृद्धि दर के बावजूद रोजगार के मौकों की रफ्तार धीमी है। उन्होंने अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति और केंद्र सरकार के तीन साल के कामकाज से जुड़े कई अहम मु्द्दों पर आउटलुक के संपादक हरवीर सिंह से बेबाक बातचीत की। कुछ अंश:
दिल्ली नगर निगम चुनाव में हार के बाद पार्टी में मचे कोहराम से यह सवाल शिद्दत से खड़ा हो गया है कि क्या आम आदमी पार्टी बिखर जाएगी? क्या नई राजनीति की डाल उसके हाथ से छूट गई है? ऐसे सवालों पर अरविंद केजरीवाल के बाद आप के सबसे कद्दावर नेता, दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया फौरन कहते हैं, ‘‘टीवी बहस में तो हजारों बार दफन की जा चुकी है आप।’’ उन्हें पूरा भरोसा है कि आप जनता की उम्मीदों पर खरा उतरेगी। आउटलुक के संपादक हरवीर सिंह के साथ बातचीत में सिसोदिया ने विस्तार से पार्टी की हार के कारणों और आगे की रणनीति पर चर्चा की। प्रमुख अंश:
काफी लंबे विचार-विमर्श के बाद गोरखनाथ पीठ के महंत और भाजपा के युवा सांसद योगी आदित्यनाथ को यूपी का मुख्यमंत्री बनाया गया है। उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद सभी के मन में यह है कि तेज तर्रार स्वभाव के योगी आदित्यनाथ यूपी जैसे बड़े राज्य में किस तरह सुशासन की स्थापना करेंगे।
चकाचौंध से दूर सादगी से जीवन बिताने की इच्छा रखने वाले असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल का काफिला सडक़ से कब गुजर जाता है, किसी को पता नहीं चलता। उग्रवाद प्रभावित राज्य होने के बावजूद मुख्यमंत्री के लिए न तो सडक़ खाली कराई जाती है और न सायरन बजता है। वे यह कहते हुए प्रचार से बचते हैं कि उनका काम ही उनका प्रचार है। वे टीवी चैनलों को साक्षात्कार भी नहीं देते। आउटलुक हिंदी के लिए रविशंकर रवि से बड़ी मुश्किल से बातचीत के लिए तैयार हुए और यह पूरी बातचीत हिंदी में ही हुई। पेश हैं मुख्य अंश:
अगले वर्ष पंजाब और उत्तर प्रदेश के अलावा मणिपुर में भी विधानसभा चुनाव हैं। मणिपुर के चुनाव इस संदर्भ में रोचक होने वाले हैं कि आयरन लेडी इरोम शर्मिला ने इस दफा न केवल राजनीति में आने की इच्छा जाहिर की है बल्कि वह मुख्यमंत्री भी बनना चाहती हैं। उधर भारतीय जनता पार्टी ने भी अपना पूरा दम-खम लगा रखा है। मणिपुर के सामाजिक, राजनीतिक हालात पर वहां की राज्यपाल नजमा हेपतुल्ला से बातचीतः