भारत और फ्रांस अपने राजनयिक संबंधों के 75वीं सालगिरह मना रहे हैं। इस अटूट साझेदारी को और भी मजबूत करने की योजना के साथ, भारत में फ्रेंच कल्चरल और एजुकेशनल नेटवर्क ने नई दिल्ली में साइंस बियॉन्ड बॉर्डर्स: कनेक्टिंग द डॉट्स बिटवीन इंडिया एंड फ्रांस नामक एक प्रदर्शनी आयोजित की। इस अवसर पर भारत में फ्रांस के राजदूत इमैनुएल लेनिन ने आउटलुक के लिए राजीव नयन चतुर्वेदी से खास बातचीत की।
पेश हैं साक्षात्कार के मुख्य अंश:
भारत और फ्रांस के रिश्तों की बात करें तो आपका मुख्य फोकस एरिया क्या है?
फ्रांस और भारत के बीच एक अद्भुत दोस्ती है और दोनों देशों के बीच रिश्तों को और प्रगाढ़ करने के लिए 'पीपल टू पीपल कॉन्टैक्ट' बहुत ज्यादा ज़रूरी है। इसलिए हमारी प्रमुख प्राथमिकता दोनों देशों के बीच 'पीपल टू पीपल एक्सचेंज' को और बढ़ाना है। इसके लिए हम दोनों देश मिलकर कार्य कर रहे हैं।
जहां तक कला और संस्कृति का संबंध है, फ्रांस और भारत किस प्रकार आगे बढ़ने की योजना बना रहे हैं?
हम पहले से ही बहुत कुछ कर रहे हैं। हम भारत के साथ कई मोर्चों पर सहयोग कर रहे हैं, उदाहरण के लिए, भारत सुंदर पेशेवर संग्रहालय बनाना चाहता है और हमारे पास इसमें काफी विशेषज्ञता है और हम मदद के लिए तैयार हैं।
आप भारतीय और फ्रांसीसी संस्कृति के बीच किस प्रकार की समानता देखते हैं?
हम दो अलग- अलग देश हैं और हम एक-दूसरे का सम्मान भी करते हैं। संस्कृति हमारे दैनिक जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और यह वास्तव में हमारे लिए जीवन जीने का एक तरीका है। मुझे नहीं लगता कि भारत और फ्रांस के लोग संस्कृति की इस 'टच' के बिना सामान्य जीवन जी सकते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हमारे लिए संस्कृति विविधता से संबंधित है। विविधता के मामले में भारत सबसे अमीर है, लेकिन फ्रांस और यूरोप भी विविधता के मामले में उतने ही समृद्ध हैं।
लोकतंत्र को फलने-फूलने के लिए कला की कितनी ज़रूरत होती है?
सबसे पहले तो संस्कृति का पोषण करना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह मनुष्य के सर्वोत्तम प्रवृत्ति का विकास करती है। फ्रेंच में हम कहते हैं कि संगीत आपके व्यवहार को अधिक दयालु और अच्छा बनाता है और यह कला के किसी अन्य रूप के बारे में भी सच है। संक्षेप में, संस्कृति किसी भी देश की छवि को स्पष्ट रूप से दर्शाती है।
भारत और फ्रांस ने अपने राजनयिक संबंधों के 75 साल पूरे कर लिए हैं। दोनों देशों के आने वाले 15 वर्षों के संबंधों को आप कैसे रेखांकित करेंगे?
यह एक शानदार यात्रा रही है। हमने अभी-अभी अपने राजनयिक संबंधों के 75 वर्ष पूरे किए हैं और हम लगभग हर क्षेत्र में एक दूसरे का सहयोग कर रहे हैं। जहां तक अगले 15 वर्षों का संबंध है, हमें जो कुछ भी करने की आवश्यकता है, हम सब कुछ करने जा रहे हैं। हम अपने सामने मौजूद चुनौतियों से निपटने के लिए मिलकर प्रयास करेंगे। हम अनुभव और तकनीक साझा करेंगे और एक साथ चुनौतियों का समाधान खोजने का प्रयास करेंगे।
भारत और फ्रांस किस तरह की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं?
अब हमारे सामने जो चुनौतियां हैं, वे साइबर से संबंधित हैं। आज सब कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि हम अपने समाज को इसके खतरों से कैसे बचाएंगे। दूसरा खतरा हमारे सामने एआई से जुड़ा हुआ है। हम एआई में महारत हासिल करने की कोशिश करेंगे और इस बात के लिए सतर्क भी रहेंगे कि हम इसके गुलाम न बन जाएं।
क्यों पेरिस ने दुनिया भर के कलाकारों को इतना आकर्षित किया है और अभी भी आकर्षित कर रहा है?
सबसे पहली बात है कि हम बहुत वेलकमिंग हैं। दूसरा, पेरिस दुनिया का एक खूबसूरत शहर है और मुझे लगता है कि कलाकार पेरिस के जीवन, भोजन, सुंदरता और संस्कृति का आनंद लेने के लिए आते हैं।
सांस्कृतिक दृष्टि से एक बात बताएं जो भारतीयों के पास है और फ्रांस के पास नहीं है?
बिरयानी। मुझे बिरयानी बहुत पसंद है और मुझे नहीं लगता कि हमारे पास कोई इतनी मसालेदार डिश है।