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हार्ट अटैक, कार्डिएक अरेस्ट या हार्ट फेल्योर में क्या है अंतर, जाने इसके लक्षण और उपाय

दिल से जुड़ी सभी बीमारियां आमतौर पर लोगों को एक जैसी लगती हैं। कार्डियक अरेस्ट, दिल का दौरा और हार्ट...
हार्ट अटैक, कार्डिएक अरेस्ट या हार्ट फेल्योर में क्या है अंतर, जाने इसके लक्षण और उपाय

दिल से जुड़ी सभी बीमारियां आमतौर पर लोगों को एक जैसी लगती हैं। कार्डियक अरेस्ट, दिल का दौरा और हार्ट फेलियर बेशक सुनने में एक जैसे लगते हैं, लेकिन इन तीनों का मतलब बिल्कुल अलग है। इन दिल की आपात स्थितियों पर भ्रम है और अंतर जानना महत्वपूर्ण है ताकि समय रहते इलाज किया जा सके और व्यक्ति की जान बचाई जा सके। सभी के अलग-अलग कारण और उपचार हैं। हृदय रोग रक्त की नलियां,, हृदय की मांसपेशियों और वाल्वों और शरीर के अन्य क्षेत्रों को प्रभावित करता है। आइये जानते हैं कि दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल के ह्रदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर मनीष शर्मा इऩ तीनों के बारे में क्या कहते हैः

दिल का दौरा: तब होता है जब हृदय की मांसपेशियों की रक्त आपूर्ति बाधित (अवरुद्ध) हो जाती है। बिना रक्त की पूर्ति के हृदय का वह भाग मरने लगता है और रोगी को सीने में दर्द होने लगता है। रक्त की आपूर्ति कितने समय के लिए बंद रहती है।  इसके आधार पर, परिणाम हल्के नुकसान हो सकते हैं या यह बड़े पैमाने पर घातक भी हो सकते हैं। यह एक मेडिकल इमरजेंसी है और रोगी को एस्प्रिन तथा जीभ के नीचे नाइट्रोग्लिसरीन टेबलेट दी जानी चाहिए और आगे के इलाज के लिए नजदीकी अस्पताल ले जाना चाहिए।

कार्डियक अरेस्ट: तब होता है जब दिल अचानक धड़कना बंद कर देता है। यह दिल का दौरा या दिल की कम कार्य क्षमता सहित कई अन्य कारणों से हो सकता है। यह एक मेडिकल इमरजेंसी है जिसमें कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) के रूप में तत्काल चिकित्सा उपचार की आवश्यकता होती है और ऑटोमेटेड एक्सटर्नल डीफिब्रिलेटर (एईडी) की भी आवश्यकता हो सकती है। इसलिए तुरंत नजदीकी अस्पताल में जाएं जो इस तरह की आपात स्थिति से निपटने के लिए अच्छी तरह से सुसज्जित है।

हार्ट फेल्योर: एक ऐसी स्थिति है जिसमें हृदय शरीर के बाकी हिस्सों को पर्याप्त मात्रा में रक्त पंप करने में असमर्थ होता है। यह या तो कमजोर दिल के कारण या दिल के सुचारू रूप से रिलेक्स न कर पाने या अनियंत्रित रक्तचाप के कारण हो सकता है। दिल के फेल होने का कारण क्या है, इस पर निर्भर करते हुए उचित उपचार किया जाता है और रोगी को राहत मिलती है।

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