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अमित शाह ने पूर्व कांग्रेस नीत सरकारों पर साधा निशाना, सहकारी क्षेत्र को बढ़ावा न देने का लगाया आरोप

केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने रविवार को पूर्ववर्ती कांग्रेस नीत सरकारों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि...
अमित शाह ने पूर्व कांग्रेस नीत सरकारों पर साधा निशाना, सहकारी क्षेत्र को बढ़ावा न देने का लगाया आरोप

केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने रविवार को पूर्ववर्ती कांग्रेस नीत सरकारों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि सहकारी आंदोलन वर्षों तक कानूनों में बदलाव नहीं किए जाने के कारण खस्ताहाल रहा और मोदी सरकार द्वारा निर्णायक कार्रवाई किए जाने तक यह लगभग मृतप्राय हो गया था।

भोपाल में राज्य स्तरीय सहकारी सम्मेलन को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों ने सहकारी क्षेत्र को मजबूत करने के बारे में कभी नहीं सोचा। इस अवसर पर राज्य में दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) और मध्य प्रदेश राज्य सहकारी डेयरी संघ के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। उन्होंने कहा, "वर्षों तक सहकारी आंदोलन धीमी गति से आगे बढ़ रहा था और लगभग मृतप्राय हो गया था। देशभर में सहकारी आंदोलन को देखें तो यह (अतीत में) असमान था।"

चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए शाह ने कहा कि सहकारी आंदोलन खस्ताहाल रहा क्योंकि कानूनों में बदलाव नहीं किए गए। उन्होंने कहा कि इस आंदोलन को आजादी के 75 साल बाद ही गति मिली, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस क्षेत्र को मजबूत करने के लिए सहकारिता मंत्रालय का गठन किया। शाह ने पिछली केंद्र सरकारों पर सहकारी क्षेत्र को बढ़ावा न देने का आरोप लगाया, जिसके परिणामस्वरूप विकास असंतुलित रहा।

शाह ने कहा, "कुछ राज्यों में आंदोलन ने गति पकड़ी, जबकि कुछ जगहों पर यह नष्ट हो गया। इसका मुख्य कारण यह था कि समय के साथ जिन कानूनों में बदलाव होना चाहिए था, उनमें बदलाव नहीं किया गया।" उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को सहकारी आंदोलन में "सकारात्मक बदलाव" लाने का श्रेय दिया। शाह ने कहा कि मध्य प्रदेश में कृषि, पशुपालन और सहकारिता के क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं। उन्होंने इन संभावनाओं का पूरा दोहन करने के लिए और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता को स्वीकार किया।

उन्होंने कहा, "मध्य प्रदेश में अब सुशासन देखने को मिल रहा है। कांग्रेस के शासनकाल में सहकारिता लगभग खत्म हो चुकी थी। यह उनके पुनरुद्धार का सुनहरा अवसर है और मध्य प्रदेश को इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए।" संवैधानिक व्यवस्था के तहत सहकारिता राज्य का विषय है, इसलिए देश भर में तेजी से बदलती परिस्थितियों के अनुकूल सहकारी कानून बनाने की पहल नहीं की गई। उन्होंने कहा, "इस (परिदृश्य) पर राष्ट्रीय स्तर पर समग्र दृष्टिकोण से विचार नहीं किया गया, क्योंकि सहकारी समितियों के लिए कोई अलग मंत्रालय नहीं था।"

उन्होंने कहा कि केंद्र संवैधानिक ढांचे के भीतर काम करता है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने सहकारी समितियों के लिए आदर्श उपनियम बनाए हैं, जिन्हें सभी राज्यों ने स्वीकार किया है। उन्होंने राज्यों को धन्यवाद देते हुए कहा, "प्राथमिक समितियों को सशक्त बनाने वाले इन आदर्श उपनियमों को स्वीकार करके राज्यों ने भारत में सहकारी क्षेत्र को नया जीवन दिया है।" शाह ने याद किया कि कैसे पैक्स (या पैक्स- प्राथमिक कृषि ऋण समिति) अल्पकालिक कृषि वित्त में काम करते थे और केवल आधा प्रतिशत लाभ कमाते थे।

उन्होंने कहा, "वही पैक्स अधिक काम कर रहे हैं, जिससे उनकी आय बढ़ी है। वे आयुष्मान भारत से जुड़कर सस्ती दवाएं बेच रहे हैं और जल वितरण में भी शामिल हैं, सीएससी (कॉमन सर्विस सेंटर) से जुड़कर 300 से अधिक सरकारी योजनाओं को जनता तक पहुंचा रहे हैं।" शाह ने पैक्स को कंप्यूटरीकृत करने वाली भारत की पहली सरकार होने के लिए मध्य प्रदेश सरकार की सराहना की। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पहले केवल बड़े किसान ही बीज उत्पादन में संलग्न हो सकते थे। हालांकि, सरकार ने अब ढाई एकड़ जितनी छोटी भूमि वाले किसानों को भी बीज उत्पादन का अवसर प्रदान किया है।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बीजों के संरक्षण और संवर्धन का प्रबंधन 'बीज सहकारी' द्वारा किया जाएगा, जिससे किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिल सके। दूध उत्पादन पर बोलते हुए शाह ने कहा कि मध्य प्रदेश में 5.5 करोड़ लीटर दूध का उत्पादन होता है, जो देश के कुल दूध उत्पादन का 9 प्रतिशत है।

मंत्री ने खुले बाजार में दूध बेचने पर किसानों के शोषण पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, "इससे निपटने के लिए सरकार का लक्ष्य किसानों को सहकारी डेयरियों के माध्यम से दूध बेचने के लिए प्रोत्साहित करना है, ताकि लाभ सीधे उन्हें मिल सके।" मंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि एनडीडीबी और एमपीएससीडीएफ के बीच समझौते से मध्य प्रदेश के लगभग 50 प्रतिशत गांवों में सहकारी समितियां बनेंगी, जिससे किसानों और पशुपालकों को त्वरित लाभ मिलेगा।

शाह ने कहा कि मध्य प्रदेश के दूध उत्पादन का एक प्रतिशत से भी कम हिस्सा सहकारी डेयरियों से आता है। राज्य में अधिशेष दूध की मात्रा 3.5 करोड़ लीटर है, जिसमें से केवल 2.5 प्रतिशत का प्रबंधन सहकारी क्षेत्र द्वारा किया जाता है। शाह ने कहा, "गांवों में, केवल 17 प्रतिशत दूध संग्रह संभव है। हालांकि, रविवार को हस्ताक्षरित समझौते ने एनडीडीबी को राज्य के 83 प्रतिशत गांवों तक पहुंचने का मार्ग प्रशस्त किया है। अगले पांच वर्षों में, कम से कम 50 प्रतिशत गांवों में प्राथमिक दूध उत्पादन समितियों की स्थापना करने का लक्ष्य है।"

उन्होंने दूध, दही और छाछ के उत्पादन के लिए हर किसान को सहकारी डेयरियों से जोड़ने का आह्वान किया। शाह ने कहा कि मोदी सरकार सहकारी क्षेत्र के विस्तार का समर्थन करने में "चट्टान की तरह खड़ी है।" उन्होंने कहा, "बीज, जैविक और निर्यात सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिल रहा है। ये सहकारी समितियां किसानों को वैश्विक बाजार तक पहुंचने के लिए एक मंच प्रदान करती हैं, जिसका लाभ सीधे उनके बैंक खातों में जमा होता है। यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है जिसका लाभ व्यापारियों के बजाय किसानों को मिलता है।"

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