"क्या गाजा के बच्चों की मुस्कान से ज़्यादा खूबसूरत कुछ और है?"
इजरायल और हमास के बीच लगातार जारी जंग के बीच गाजा की 11 साल की इंफ्लुएंसर याकीन हम्माद को कोई नहीं भूल सकता है, जिसने खूब सुर्खियां बटोरी। वह गाजा के अल-बकरा में रहती थीं। वह इंस्टाग्राम पर अक्सर गाजा पर इजरायली सेना का क्रूरताभरा चेहरा अपनी वीडियो के जरिए शेयर करती रहती थीं। हालांकि, हाल ही में हुए इजरायली हवाई हमलों में इस बच्ची की मौत हो गई।
इजरायली हवाई हमले में गाजा की सबसे कम उम्र की सबसे प्रभावशाली 11 वर्षीय याकीन हम्माद समेत एक दर्जन अन्य लोग मारे गए हैं। मध्य गाजा में याकीन का घर हाल ही में भारी हवाई हमलों की लहर के बीच मलबे में तब्दील हो गया। बचावकर्मियों ने बाद में मलबे के नीचे से उसका शव बरामद किया।
दरअसल, याकीन हम्माद युद्ध क्षेत्र में जीवित रहने के टिप्स साझा करने के लिए काफी प्रसिद्ध हो गई थी। उसने अपने एक इंस्टाग्राम पोस्ट में बताया कि मैं अन्य बच्चों को खुशी देने की कोशिश करती हूं ताकि बच्चे युद्ध को भूल पाएं।
बता दें कि अल-बकरा इलाके में रहने वाली याकीन हम्माद 11 साल की उम्र में मानवतावादी और मीडिया कार्यकर्ता थी। उसने अपनी जिंदगी की हर एक खुशी के पल और मुश्किल कामों को अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर शेयर किया है। इसके अलावा याकीन अपने भाई के साथ मिलकर बेघर लोगों की मदद करती थीं।
याकीन ने हाल ही में अपने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर किया था, जिसमें वह खाना बना रही थीं। इस वीडियो के जरिए वह बता रही थीं कि गाजा में कुछ भी नामुमकिन नहीं है।
11 साल की यह फिलिस्तीनी बच्ची गाजा के ओउनेया कलेक्टिव ऑर्गेनाइजेशन से जुड़ी हुई थीं। यह एक नॉन-गवर्नमेंटल ऑर्गेनाइजेशन है, जो गाजा में मौजूद लोगों की फंड के जरिए मदद करती है। याकीन के इंस्टाग्राम पेज पर मौजूद वीडियो उनकी बहादुरी और समाज के प्रति उनके प्यार और लगाव को दिखाती है। पूरी दुनियाभर के लोगों के लिए 11 वर्षीय याकीन हम्माद ने एक बहादुरी की मिसाल पेश की है। उनकी मौत की खबर सुनते ही फैंस में शोक की लहर दौड़ गई है। सभी ने सोशल मीडिया पर दुख जाहिर किया है।
अब तक 53 हजार से ज्यादा फिलिस्तीनियों की मौत
गाजा के हेल्थ मिनिस्ट्री की रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर 2023 से शुरू हुई इस जंग में अब तक तकरीबन 53 हजार से ज्यादा फिलिस्तीनी मारे गए हैं, जिनमें 16,500 बच्चे भी शामिल हैं। गाजा में हो रहे इजरायली हमले और नाकाबंदी के कारण खाना और मेडिकल की भारी कमी हो गई है।