रमजान का पवित्र महिना बस आ ही गया। रोजे रखने वाले बड़ी बेसब्री से इस महिने का इंतजार कर रहे हैं। 30 दिनों के रोजे के लिए मुस्लिम परिवारों में जोर-शोर से तैयारी शुरु हो गई है। इस बीच ऐसे भी कुछ लोग हैं जो दिल के रोगों से पीड़ित हैं। ऐसे मरीजों के लिए सुबह से देर शाम तक बिना कुछ खाए पीए रहना खतरनाक हो सकता है। ऐसे हालात में दिल के रोगी और अनियंत्रित रक्तचाप के मरीज क्या करें और क्या नहीं, इस बारे में भारत के प्रमुख ह्रदय रोग विशेषज्ञ ने अपनी तरफ से कुछ सलाह दी है। नई दिल्ली के फोर्टिस एस्कॉर्ट हर्ट इंस्टिच्यूट के कार्यकारी निदेशक और कार्डियोलॉजी के डीन डॉ. उपेंद्र कौल ने बताया, उच्च रक्तचाप के ऐसे मरीज जो अक्सर कई दवाईयां लेते हैं वह पवित्र महीना शुरू होने से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि उनका रक्तचाप अच्छी तरह से नियंत्रित रहे। ऐसी कई गोलियों का मिश्रण है जिन्हें अहले सुबह में रोजा शुरू होने से पहले और इफ्तार (रोजा तोड़ने) के वक्त लिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जिन मरीजों का रक्तचाप अनियंत्रित रहता है उन्हें रोजा रखने से सख्ती से परहेज करना चाहिए।
डॉ. कौल ने बताया, लंबे अरसे से दिल की बीमारी से जूझ रहे वे लोग जिन का ह्रदय सही से काम नहीं करता है, खासतौर पर जिन्हें तनाव में सांस लेने में तकलीफ होती है उन्हें चिकित्सकीय आधार पर रोजा नहीं रखना चाहिए। बहरहाल, ऐसे रोगी जो अच्छी तरह से नियंत्रित और लक्षण मुक्त हैं वे एहतियाती उपायों के साथ रमजान में रोजा रख सकते हैं। उन्हें इफ्तार के वक्त ज्यादा खाने से बचना चाहिए और सुबह तक थोड़ा-थोड़ा कुछ कुछ खाते रहना चाहिए। उन्होंने बताया, बीमारों को सुबह की बजाय शाम में मूत्रालय जाना चाहिए ताकि शरीर में उचित जलयोजन बरकरार रह सके। एनजाइना और ओल्ड मायोकार्डियल इंफेकशन के रोगी या सीने में दर्द के मरीज, जिन्हें दिल का दौरा पड़ चुका है और वे सामान्य गतिविधियां करने में सक्षम हैं तो वे रोजा रख सकते हैं लेकिन उन्हें रमजान में अपनी शारीरिक गतिविधियों को घटाना चाहिए। जिन लोगों को हाल में दिल का दौरा पड़ा है उन्हें सख्त चिकित्सकीय आधार पर रोजा रखने से परहेज करना चाहिए।
विसेषज्ञ के अनुसार एंजियोप्लास्टी (स्टेंटिंग) या बाइपास सर्जरी करा चुके मरीज (जिन्हें एक साल से ज्यादा हो चुका हो) जो रोजाना की गतिविधियां कर लेते हैं, वे जब तक दवाइयां लेते हैं तब तक रोजा रख सकते हैं। उन्हें मेहनत वाली शारीरिक गतिविधियों से बचना चाहिए क्योंकि इससे निर्जलीकरण हो सकता है जिससे स्टेंट में रूकावट हो सकती है। विशेषज्ञों की राय में जो लोग खून पतला करने वाली दवाईयां लेते हैं उन्हें सावधान रहने की जरूरत है। अगर वे अच्छा कर रहे हैं और इन दवाईयों पर लंबे अरसे से हैं तो वे रोजा रख सकते हैं। आईएनआर रक्त के थक्के की प्रवृति को तय करता है। विशेषज्ञों ने साफ तौर पर कहा कि रोजे के दौरान दिल के रोगियों को जैसे ही हल्का दर्द या सांस में तकलीफ या बेचैनी महसूस हो वे फौरन रोजा तोड़कर अपनी दवा लें और डॉक्टर से संपर्क करें।