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कैंसर एवं पारंपरिक औषधि शोध के लिए भारत-अमेरिका ने मिलाए हाथ

पारंपरिक औषधि से संबंधित पहली भारतीय-अमेरिकी कार्यशाला आज नई दिल्ली में आरंभ हुई। यह कार्यशाला कल चार मार्च तक चलेगी। इस कार्यशाला का आयोजन पिछले वर्ष भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के बीच हुई उस बातचीत के आधार पर की जा रहा है जिसमें दोनों नेताओं ने पारंपरिक औषधि के क्षेत्र में मिलकर काम करने की प्रतिबद्ता जताई थी।
कैंसर एवं पारंपरिक औषधि शोध के लिए भारत-अमेरिका ने मिलाए हाथ

दिल्ली में आज इस कार्यशाला का उद्घाटन केंद्र सरकार के आयुष विभाग के मंत्री श्रीपद नायक, भारत में अमेरिकी राजदूत रिचर्ड वर्मा और अमेरिका के स्वास्थ्य और मानव सेवा विभाग में वैश्विक मामलों के सहायक सचिव जिमी कोलकर ने एक साथ किया।

इस कार्यशाला में अमेरिका के स्वास्थ्य और मानव सेवा विभाग (एसएसएस), अमेरिका के राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान, राष्ट्रीय कैंसर संस्थान और अमेरिका के अन्य शैक्षिक संस्थाओं से जुड़े विशेषज्ञों ने भारतीय आयुर्वेद, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्धा और होम्योपैथी (आयुष) मंत्रालय के अपने समकक्षों एवं भारतीय शोध संस्थानों और विश्वविद्यालयों के विशेषज्ञों के साथ विचारों का आदान-प्रदान किया।

इस कार्यशाला में दोनों देशों के विशेषज्ञों ने भारत एवं अमेरिका में कैंसर के वर्तमान पारंपरिक चिकित्सा उपचारों पर चर्चा की। उन्होंने आयुष के उन मौजूदा उत्पादों के बारे में उपलब्ध सबूतों की समीक्षा की जो कैंसर के उपचार में दर्द कम करने और जीवन स्तर सुधारने में मददगार हैं। इस मौके पर विशेषज्ञों ने इस तथ्य पर जोर दिया कि दोनों देश मिलकर कैंसर के इलाज में पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में बड़ा काम कर सकते हैं।

    

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