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वह दिन दूर नहीं जब पीओके के लोग स्वेच्छा से भारत लौट आएंगे: राजनाथ सिंह

भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव के बाद पीओके पर खूब चर्चा हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी स्पष्ट...
वह दिन दूर नहीं जब पीओके के लोग स्वेच्छा से भारत लौट आएंगे: राजनाथ सिंह

भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव के बाद पीओके पर खूब चर्चा हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी स्पष्ट किया कि अब पाकिस्तान से केवल पीओके पर बात होगी। इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को कहा कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के लोग भारतीय परिवार का हिस्सा हैं और वह दिन दूर नहीं जब वे स्वेच्छा से भारत की मुख्यधारा में लौट आएंगे।

पाकिस्तान के प्रति भारत के नीतिगत दृष्टिकोण को रेखांकित करते हुए सिंह ने कहा कि नई दिल्ली ने आतंकवाद के प्रति अपनी रणनीति और प्रतिक्रिया को "पुनः डिजाइन और परिभाषित" किया है तथा इस्लामाबाद के साथ संभावित वार्ता केवल आतंकवाद और पीओके पर ही होगी।

सीआईआई बिजनेस समिट में अपने संबोधन में रक्षा मंत्री ने मुख्य रूप से पीओके के लोगों तक पहुंचने का प्रयास किया और कहा कि भारत उन्हें अपने "परिवार" का हिस्सा मानता है। उन्होंने कहा, "मेरा मानना है कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के लोग हमारे अपने हैं, हमारे परिवार का हिस्सा हैं।"

उन्होंने कहा, "हमें पूरा विश्वास है कि हमारे जो भाई आज भौगोलिक और राजनीतिक रूप से हमसे अलग हो गए हैं, वे भी अपनी आत्मा की आवाज सुनकर किसी दिन भारत की मुख्यधारा में लौट आएंगे। पीओके के अधिकतर लोग भारत के साथ ‘‘गहरा जुड़ाव’’ महसूस करते हैं और उनमें से केवल कुछ को ही ‘‘गुमराह’’ किया गया है। भारत हमेशा दिलों को जोड़ने की बात करता है और हमारा मानना है कि प्रेम, एकता और सच्चाई के मार्ग पर चलते हुए वह दिन दूर नहीं जब हमारा अपना हिस्सा, पीओके, वापस आएगा और कहेगा कि मैं भारत हूं, मैं वापस आया हूं।"

पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश देते हुए सिंह ने यह भी कहा कि आतंकवाद का कारोबार लागत प्रभावी नहीं है और इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी, जैसा कि इस्लामाबाद को अब एहसास हो गया है।

अपने संबोधन में सिंह ने भारत की घरेलू रक्षा क्षमताओं पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि 10 साल पहले भारत का रक्षा निर्यात 1,000 करोड़ रुपये से भी कम था, लेकिन अब यह 23,500 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है।

उन्होंने कहा, "आज यह सिद्ध हो गया है कि रक्षा क्षेत्र में मेक-इन-इंडिया भारत की सुरक्षा और समृद्धि दोनों के लिए आवश्यक है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत की स्वदेशी प्रणालियों ने पूरी दुनिया को आश्चर्यचकित कर दिया, क्योंकि हमारे प्लेटफार्मों और प्रणालियों ने अपनी ताकत का प्रदर्शन किया। आज हम सिर्फ लड़ाकू विमान या मिसाइल प्रणाली ही नहीं बना रहे हैं, बल्कि हम नए युग की युद्ध प्रौद्योगिकी के लिए भी तैयारी कर रहे हैं।"

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