राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले द्वारा संविधान की प्रस्तावना में "समाजवादी" और "धर्मनिरपेक्ष" शब्दों की समीक्षा करने का आह्वान करने के बाद कांग्रेस ने गुरुवार को आरएसएस और भाजपा पर "संविधान विरोधी" होने का आरोप लगाया।
कांग्रेस ने हिंदी में लिखे एक पोस्ट में कहा कि वह भाजपा-आरएसएस की 'साजिश' को कभी सफल नहीं होने देगी और ऐसे किसी भी कदम का विरोध करेगी।
कांग्रेस ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "आरएसएस-भाजपा की सोच संविधान विरोधी है। अब आरएसएस के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने संविधान की प्रस्तावना में बदलाव की मांग की है।"
पार्टी ने दावा किया कि होसबोले चाहते हैं कि प्रस्तावना से "समाजवादी" और "धर्मनिरपेक्ष" शब्द हटा दिए जाएं।
कांग्रेस ने कहा, "यह बाबा साहेब के संविधान को नष्ट करने की साजिश है, जिसे आरएसएस-भाजपा लंबे समय से रच रही है।"
विपक्षी पार्टी ने दावा किया कि जब संविधान लागू किया गया तो आरएसएस ने इसका विरोध किया और इसकी प्रतियां जलाईं। उन्होंने कहा, ‘‘लोकसभा चुनाव में भाजपा नेता खुलेआम कह रहे थे कि संविधान बदलने के लिए उन्हें संसद में 400 से अधिक सीटों की जरूरत है, लेकिन जनता ने उन्हें सबक सिखा दिया।
कांग्रेस ने कहा, "अब एक बार फिर वे अपनी साजिशों में लगे हैं, लेकिन कांग्रेस किसी भी कीमत पर उनके इरादों को सफल नहीं होने देगी। संविधान की जय हो।"
सत्तारूढ़ भाजपा के वैचारिक मार्गदर्शक आरएसएस ने गुरुवार को संविधान की प्रस्तावना में "समाजवादी" और "धर्मनिरपेक्ष" शब्दों की समीक्षा करने का आह्वान किया और कहा कि इन्हें आपातकाल के दौरान जोड़ा गया था और ये कभी भी बी.आर. अंबेडकर द्वारा तैयार संविधान का हिस्सा नहीं थे।
आपातकाल पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए होसबोले ने कहा, "संविधान की प्रस्तावना में बाबा साहब अंबेडकर ने कभी ये शब्द नहीं रखे थे। आपातकाल के दौरान जब मौलिक अधिकार निलंबित कर दिए गए, संसद काम नहीं कर रही थी, न्यायपालिका लंगड़ी हो गई थी, तब ये शब्द जोड़े गए।"
उन्होंने कहा कि बाद में इस मुद्दे पर चर्चा हुई, लेकिन प्रस्तावना से इन्हें हटाने का कोई प्रयास नहीं किया गया। उन्होंने कहा, "अतः इस बात पर विचार किया जाना चाहिए कि उन्हें प्रस्तावना में रखा जाना चाहिए या नहीं।"