Advertisement

अनुपस्थित है किसान

एक कहानी एवं कविता संकलन के अलावा आलोचनात्मक निबंध भी प्रकाशित। हिंदी के साथ अंगिका बोली में भी कविता संग्रह। भागलपुर विश्वविद्यालय से रीडर पद से सेवानिवृत्त।
अनुपस्थित है किसान

बरस रही है धूप

सावन में

जेठ की।

जल रहे हैं

खेत

इतरा रहे बादल

आकाश में।

सूखी हैं नदियां

सूखी हैं नहरें

गांव में होरी की

आंखों से

हो रही बरसात।

गांवों को डस रहा

सन्नाटा।

दफ्तरों में आ गई है

खुशियों की बाढ़

कविता में

संवेदना का 

है सुखाड़।

अखबारों में खबरों की भीड़

केवल अनुपस्थित है

किसान। 

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad