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एजेंडा सेटिंग में आगे अरविंद

दिल्जीली विधानसभा चुनाव में जीत किसी की भी हो लेकिन आप दिल्ली चुनावों में अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने में बहुत हद तक कामयाब दिखाई दी।
एजेंडा सेटिंग में आगे अरविंद

मतदान के दिन तक एजेंडा सेट करने में आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल एक कदम आगे रहते दिखाई दे रहे हैं। मतदान करने के बाद अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के मतदाताओं से अपील की कि वे शराब और पैसा बांटने वाली पार्टियों को वोट न करें। उन्होंने कहा कि उन्हें जानकारी है कि एक दिन पहले दिल्ली के बहुत से इलाकों में पैसा बांटा गया है। इसके बाद भाजपा की मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार किरन बेदी इसी मुद्दे पर फंसी रह गईं।

जिस तरह से बौखलाहट में किरन बेदी ने इसका जवाब दिया, उससे ऐसा लगता है कि केजरीवाल का निशाना सीधा लगा। किरन बेदी कुछ लोगों के हुजूम के साथ यह कहती पाई गईं कि आप के लोग झुग्गी बस्ती में पैसा बांट रहे थे, उन्हें धमका रहे थे। लेकिन हैरानी की बात है कि इस बाबत उन्होंने न तो कोई तथ्य पेश किए और न ही कोई शिकायत चुनाव आयोग में की।

जिस तरह से मतदान से एक दिन पहले दिल्ली के जामा मस्जिद के शाही इमाम द्वारा आप के पक्ष में वोट देने का फतवा जारी होने के बाद से भाजपा आप पर आक्रामक हुई थी, उससे लग रहा था कि आप को रक्षात्मक खेलना पड़ेगा। लेकिन कल भी आप ने खुद को इससे अलग करने की भरसक कोशिश की और इसे गैर मुद्दा बनाने में अपनी शक्ति झोंक दी। आज भाजपा सुबह से आप द्वारा शराब और पैसे बांटे जाने के सवाल पर ही उलझ कर रह गई।

किरन बेदी द्वारा इस पर इतना हंगामा मचाने पर आप के नेता संजय सिंह का कहना है कि इससे साफ हो गया है कि भाजपा को पता चल गया है कि वह हार रही है। इ‌‌सीलिए हताशा में इस तरह की बयानबाजी कर रही है, ताकि हार का ठीकरा उन पर न फूटे।

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने शाम को दिल्ली चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन का विश्लेषण करने के लिए एक बैठक बुलाई है, जिसे बहुत महत्वपूर्ण बताया जा रहा है। अमित शाह पहले ही कह चुके है कि दिल्ली का चुनाव मोदी सरकार के आठ महीनों पर जनमत संग्रह नहीं है। यानी भाजपा को यह आसंका बनी हुई है कि दिल्ली में सारी ताकत झोंकने के बावजूद मनचाहा परिणाम मिलने में दिक्कत हो सकती है। गौरतलब है कि दिल्ली चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ-साथ सारा केंद्रीय मंत्रिमंडल भी उतरा था। जिस तरह से मोदी ने आक्रामक भाषा में चुनाव प्रचार किया और उसकी सीधी कमान खुद अमित शाह ने पकड़ी, उससे साफ था कि यह भाजपा नेतृत्व की साख का सवाल बन गया है। अगर दिल्ली भाजपा हार जाती है तो इसका राष्ट्रीय स्तर पर गहरा असर पड़ेगा, यह भाजपा नेतृत्व जानता है।

  

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