देश की राष्ट्रीय पार्टियों कांग्रेस, भाजपा, राकांपा, भाकपा और माकपा ने चुनाव आयोग को अपने चंदे का जो ब्योरा दिया है नेशनल इलेक्शन वाच और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म्स (एडीआर) ने जो विश्लेषण किया है उसके निष्कर्ष चौंकाने वाले हैं। भाजपा को छोड़कर बाकी सभी पार्टियों ने आयोग को चंदे की जो राशि बताई है उसका 69 फीसदी के बराबर चंदा भाजपा को अकेले मिला है। भाजपा के चंदे की खास बात यह है कि 20 हजार रुपये से ऊपर के दानदाताओं में 92 फीसदी कॉरपोरेट क्षेत्र से जुड़े हुए हैं। सिर्फ 8 फीसदी चंदा ही व्यक्तिगत दानकर्ताओं ने दिया है। आधिकारिक चंदे के मामले में बाकी पार्टियां मिलकर भी भाजपा के आस-पास नहीं फटकतीं। यहां ये बात ध्यान रखने की है कि आयोग को पार्टियां सिर्फ उसी चंदे का ब्योरा देती हैँ जिसमें चंदे की राशि 20 हजार रुपये से अधिक हो। इससे कम राशि का ब्योरा देने के लिए पार्टियां बाध्य नहीं होती हैं। एक और कमाल का तथ्य यह है कि बहुजन समाज पार्टी ने आयोग को बताया है कि वर्ष 2013-14 में उसे किसी ने भी 20 हजार रुपये से अधिक का चंदा नहीं दिया है।
अगर भाजपा के चंदे की बात करें तो पार्टी को वर्ष 2013-14 में 1480 दानकर्ताओं से कुल 170.86 करोड़ रुपये का चंदा मिला जबकि कांग्रेस को इसी वर्ष 743 दानकर्ताटों से 59.58 करोड़ का दान मिला। इसी प्रकार राकांपा को 15 दानकर्ताओं से 14.2 करोड़, सीपीआई को 53 दानदाताओं से 1.22 करोड़ और सीपीएम को 70 दानदाताओं से 2.09 करोड़ रुपये का दान मिला। अब इसकी तुलना वर्ष 2012-13 के चंदे से करें तो भाजपा को उस वर्ष 83.19 करोड़ रुपये, कांग्रेस को 11.72 करोड़ रुपये, राकांपा को 0.05 करोड़ रुपये, सीपीआई को 0.37 करोड़ और सीपीएम को 3.81 करोड़ रुपये का चंदा मिला था। खास बात यह है कि भाजपा के चंदे में इतना उछाल आने के पीछे महज तीन दानकर्ताओं का बड़ा हाथ है। भारती समूह के सत्या इलेक्टोरल ट्रस्ट, वेदांता समूह की स्टरलाइट इंडस्ट्रीज इंडिया लिमिटेड और वेदातां समूह की ही केयर्न इंडिया लिमिटेड ने अलग-अलग दानों के जरिये भाजपा को कुल 63.87 करोड़ रुपये का चंदा दिया। सत्या इलेक्टोरल ट्रस्ट ने 3 बार में पार्टी को सबसे अधिक 41.37 करोड़ रुपये दिए जबकि स्टरलाइट इंडस्ट्रीज ने चार बार में 15 करोड़ और केयर्न इंडिया ने 2 बार में 7.5 करोड़ रुपये का चंदा दिया। कमाल की बात यह है कि सत्या इलेक्टोरल ट्रस्ट ने कांग्रेस को भी उसी वर्ष में सबसे अधिक 36.50 करोड़ रुपये का चंदा दिया। इस ट्रस्ट ने राकांपा को भी 4 करोड़ रुपये के चंदे से नवाजा।