केंद्र के तीन कृषि कानूनों के विरोध में भाजपा से तीन दशक पुराना गठजोड़ तोड़ शिरोमणि अकाली दल(शिअद) ने 2022 के चुनाव से विधानसभा की राह आसान करने के लिए बहुजन समाज पार्टी(बसपा)से गठजोड़ कर लिया है। शनिवार को यहां शिअद अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल की मौजूदगी में बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने पंजाब में बसपा के शिअद से गठबंधन की घोषणा की। इस मौके सुखबीर बादल ने कहा कि शिअद और बसपा का गठबंधन पंजाब में अमरिदंर की कांग्रेस का तख्ता पलट करेगा। उन्होंने कहा कि शिअद और बसपा के एक साथ होने से इस गठबंधन की टक्कर में कोई भी दल नहीं है। बसपा महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा कि शिअद के साथ गठजोड़ से बसपा को पंजाब में अपना सियासी आधार मजबूत करने में मदद मिलेगी।
सितंबर 2020 में भाजपा से 30 साल से अधिक पुरान गठजोड़ तोड़ने वाली शिअद को एक ऐसे सियासी दल की तलाश थी जो पंजाब के 33 फीसदी दलित मतदाताओं में सेंध लगा कांग्रेस के इस वोट बैंक की जड़ें हिला सके। बसपा से गठबंधन के बाद शिअद व बसपा कांग्रेस की टक्कर में आ गए हैं। राज्य में बड़ी संख्या में दलित मतदाताओं के होने की वजह से यह गठबंधन काफी अहम माना जा रहा है। शिअद के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार दोनों दलों के बीच सीटों का बंटवारा भी हो गया है और जल्द ही इसकी घोषणा भी हो जाएगी। इस नेता अनुसार शिअद व बसपा गठबंधन 2022 के विधानसभा चुनाव से 6 महीने पहले ही अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर पंजाब के सत्ता परिवर्तन के लिए जनता के बीच जाएगा।
सूत्रों मुताबिक विधानसभा की 117 सीटों में से शिअद बसपा को पहले 20 सीटों पर चुनाव लड़वाना चाहता पर गठबंधन को सिरे चढ़ाने के लिए शिअद,बसपा को करीब 30 सीटें देने पर राजी हो गया है। जबकि बसपा 37-40 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती थी, लेकिन उस पर सहमति नहीं बन पाई। बसपा के पंजाब प्रभारी रणधीर सिंह बेनीवाल के मुताबिक पार्टी 25 से ज्यादा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेगी और उसके ज्यादातर उम्मीदवार दोआबा क्षेत्र में होंगे। इधर शिअद सूत्रों के अनुसार बसपा को 23 सीटें मिल सकती हैं। शिअद अपनी गठजोड़ पार्टी भाजपा को 23 सीटें दिया करती थी। अब बसपा को 23 सीटें मिल सकती हैं। यह भी संभावना है कि जहां से भाजपा के उम्मीदवार चुनाव लड़ते थे, वहीं से अब बसपा के प्रत्याशी चुनाव लड़कर भाजपा की कमी पूरी करेंगे।
पंजाब में करीब 33% दलित वोट हैं। बीएसपी के सहारे शिअद दलित वोट हासिल कर एक बार फिर सत्ता में आने की तैयारी में है। अकाली दल ने दलित वोट बैंक लुभाने के लिए ऐलान कर रखा है कि 2022 में अकाली दल की सरकार बनने पर उप-मुख्यमंत्री दलित वर्ग से बनाया जाएगा। बहुजन समाज पार्टी 25 साल से पंजाब में विधानसभा और लोकसभा चुनाव लड़ रही है लेकिन कभी भी बड़ी जीत हासिल नहीं कर पाई। चुनाव में बसपा के उम्मीदवार वोट काटकर दूसरी पार्टियों के प्रत्याशियों की हार-जीत का कारण बनते रहे हैं। सात महीने बाद पंजाब के विधानसभा चुनाव में शिअद की तकड़ी और बसपा का हाथी मिलकर कितने मतदाताओं पर अपने पक्ष में तौल पाता है यह अभी कहना संभव नहीं है।