5 जुलाई की तारीख राजद के लिए खास है। इस दिन राजद का 25वां स्थापना दिवस है और इसको लेकर तेजस्वी यादव ने तैयारी शुरू कर दी है। लेकिन, एक मायने में ये दिन बिहार की एक और सियासी खेला के लिए खास हो चला है। इसी दिन रामविलास पासवान का जन्मदिन भी है। और राजद ने फैसला किया है कि स्थापना दिवस के कार्यक्रम से पहले रामविलास पासवान की जयंती मनाई जाएगी। स्थापना दिवस को लेकर तेजस्वी यादव ने सोमवार को विधायकों और पार्षदों के साथ बैठक की। लेकिन, खुले तौर पर तेजस्वी लगातार अब चिराग पासवान को आमंत्रित कर रहे हैं।
दरअसल, स्थापना दिवस और दिवंगत नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की जयंती के बहाने राजद कई निशाने साधना चाह रही है। तेजस्वी की इस साथ लाने वाली रणनीति के पीछे बिहार की जातिगत राजनीति और उस पर टिके वोट बैंक का खेल है। गत वर्ष हुए बिहार विधानसभा चुनाव में एलजेपी को लगभग 6 फीसदी और संख्या में 26 लाख वोट मिले थे। वहीं, चिराग ने नीतीश का भी वोट जमकर काटा था। जिसका परिणाम ये हुआ कि नीतीश कुमार बड़े भाई की भूमिका से छोटे भाई की भूमिका में आ गएं। उनकी पार्टी को महज 43 सीटें मिली थी जबकि भाजपा को 74 और तेजस्वी की अगुवाई वाली पार्टी राजद को सबसे अधिक 75 सीटें मिली थी। महागठबंधन को बहुमत 122 के मुकाबले 110 सीटें मिली थी जबकि एनडीए के खाते में 125 सीटें गई थी।
भले ही तेजस्वी चिराग पर डोरे डाल रहे हों लेकिन, चिराग की तरफ से अभी तक ऐसे कोई संकेत नहीं मिले हैं। उनका कहना है कि वो एनडीए में बने रहेंगे। साथ ही वो नीतीश के साथ दुबारा जाने को भी राजी नहीं हैं। हालांकि, लगातार वो बीजेपी की चुप्पी को लेकर हमलावर हैं। चिराग का आरोप है कि पशुपति पारस गुटों के बगावत के पीछे नीतीश कुमार का हाथ है और बीजेपी के वरिष्ठ आलाकमानों ने चुप्पी साध रखी है।