कांग्रेस ने किसानों के ‘दिल्ली चलो’ मार्च के मद्देनजर सुरक्षा के व्यापक इंतजाम एवं ‘‘किलेबंदी’’ को लेकर मंगलवार को केंद्र सरकार पर तीखा प्रहार किया और कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कोखुद किसानों से बात कर उन्हें न्याय देना चाहिए। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मंगलवार को किसानों के आंदोलन का समर्थन किया और आरोप लगाया कि सरकार ने देश के अन्नदाताओं से किए वादे तोड़ दिए और अब उनकी आवाज पर लगाम लगाने का प्रयास कर रही है।
किसान नेताओं और केंद्र के बीच बातचीत के बेनतीजा रहने के बाद मंगलवार को किसानों के ‘दिल्ली चलो’ मार्च को राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश करने से रोकने के लिए दिल्ली की सीमाओं पर बहुस्तरीय अवरोधक, कंक्रीट के अवरोधक, लोहे की कीलों और कंटेनर की दीवारें लगाकर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए।
खड़गे ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, "कंटीले तार, ड्रोन से आंसू गैस, कीले और बंदूक़ें… सबका है इंतज़ाम, तानाशाह मोदी सरकार ने किसानों की आवाज़ पर जो लगानी है लगाम!" उन्होंने कहा, ‘याद है ना “आंदोलनजीवी” व “परजीवी” कहकर किया था बदनाम और 750 किसानों की ली थी जान। ‘
खड़गे ने आरोप लगाया, "10 वर्षों में मोदी सरकार ने देश के अन्नदाताओं से किए गए अपने तीन वादे तोड़े हैं — 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी, स्वामीनाथन रिपोर्ट के मुताबिक़ लागत और 50 प्रतिशत एमएसपी लागू करना और एमएसपी को क़ानूनी दर्जा।" उन्होंने कहा, "हमारा किसान आंदोलन को पूरा समर्थन है। न डरेंगे, न झुकेंगे!" कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि किसानों को प्रदर्शन करने से रोकना और उन्हें परेशान करना, मोदी सरकार की किसान विरोधी मानसिकता को दर्शाता है।
उन्होंने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘किसान आंदोलन के लिए कारण स्पष्ट हैं। चाहे वह पूंजीपतियों की मदद के लिए भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन करने की कोशिश हो अथवा तीन काले कृषि कानून लाना रहा हो, इन्होंने हर तरह से किसानों को नुक़सान पहुंचाने का प्रयास किया है।’’ रमेश ने दावा किया, ‘‘किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी भी आज तक नहीं मिली है। किसानों के लिए बाज़ार को कमज़ोर करने का कार्य किया गया है। यहां तक कि यह सरकार किसानों को उचित लागत मूल्य देने में भी विफल रही है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ 2004-14 की अवधि में कांग्रेस सरकार के दौरान गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 126 फीसदी की बढ़ोतरी की गई थी। अगर वर्तमान सरकार द्वारा किसानों को वही न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रदान किया जाता, तो आज उन्हें 3277 रुपये प्रति क्विंटल गेहूं का मूल्य मिल रहा होता, जबकि मौजूदा समय में 2275 रुपये प्रति क्विंटल मिल रहा है।’’ रमेश के मुताबिक, ‘‘किसान ऋण के दुष्चक्र में फंसते जा रहे हैं। वर्ष 2013 से किसानों के ऊपर क़र्ज़ में 60 फीसदी बढ़ोतरी हुई है और इससे उनकी स्थिति बेहद ख़राब हो चुकी है।’’