मध्य प्रदेश के सीएम कमलनाथ ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर मांग की है कि बेंगलुरु में रखे गए 22 कांग्रेसी विधायकों को, बिना किसी डर के 16 मार्च से शुरू होने वाले बजट सत्र में भाग लेने के लिए सुरक्षित रूप से मध्य प्रदेश पहुंचाया जाए। वहीं, शनिवार को प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद प्रजापति ने कांग्रेस के छह विधायकों का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। इसे पहले मुख्यमंत्री कमलनाथ की सलाह पर राज्यपाल लाल जी टंडन ने इमरती देवी, तुलसी सिलावट, प्रद्युम्न सिंह तोमर, महेंद्र सिंह सिसोदिया, गोविंद सिंह राजपूत और प्रभु राम चौधरी को मंत्रिमंडल से हटा दिया था। ये सभी मंत्री पूर्व कांग्रेस नेता और हाल ही भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक बताए जा रहे हैं।
राज्यपाल से की मुलाकात
मध्य प्रदेश में सियासी संकट के बीच पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा प्रतिनिधिमंडल ने शनिवार को दिन में राज्यपाल से मुलाकात की। भाजपा नेताओं ने राज्यपाल से 16 मार्च से पहले विधानसभा सत्र बुलाने और फ्लोर टेस्ट कराने की मांग की। भाजपा प्रतिनिधिमंडल में शिवराज सिंह चौहान के अलावा गोपाल भार्गव, नरोत्तम मिश्रा और भूपेंद्र सिंह भी थे। उन्होंने राज्यपाल से कहा कि फ्लोर टेस्ट की वीडियोग्राफी भी कराई जाए। इससे पहले शुक्रवार को भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया और शिवराज सिंह चौहान ने राज्यपाल लालजी टंडन से मुलाकात की थी। दोनों नेताओं ने राज्यपाल से कहा था कि मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई है। राज्य सरकार को फ्लोर टेस्ट का सामना करने के लिए कहा जाए।
मुख्यमंत्री ने लगाया खरीद-फरोख्त का आरोप
वहीं, शुक्रवार को मुख्यमंत्री कमलनाथ ने राज्यपाल लालजी टंडन को एक पत्र सौंपकर भाजपा पर विधायकों की खरीद-फरोख्त करने का आरोप लगाया। साथ ही, बेंगलुरू में मौजूद 22 बागी विधायकों की रिहाई सुनिश्चित कराने की भी मांग की। उन्होंने कहा कि वह विधानसभा के आगामी सत्र में बहुमत परीक्षण कराने के लिए तैयार हैं। कमलनाथ ने कहा कि राज्यपाल के अभिभाषण और बजट के बाद स्पीकर द्वारा तय तारीख को बहुमत परीक्षण कराया जाएगा, लेकिन यह तभी संभव है जब बंधक बनाए गए 22 विधायक रिहा होंगे।