प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को आयोजित श्रद्धांजलि सभा में पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को याद करते हुए कई बातें बताईं। उन्होंने कहा कि सुषमा जी सबके लिए प्रेरणा का स्रोत थीं। उन्होंने कहा कि व्यवस्था के तहत, अनुशासन के तहत, जो भी काम मिले उसे जी जान से करना और व्यक्तिगत जीवन में ऊंचाई प्राप्त करने के बाद भी करना, कार्यकर्ता के लिए इससे बड़ी प्रेरणा कोई हो नहीं सकती है। उन्होंने कहा कि कई बार वह हरियाणवी टोन में सख्त भी हो जाती थीं।
'प्रोटोकॉल को उन्होंने पीपल्स कॉल में बदला'
पीएम ने कहा कि आम तौर पर विदेश मंत्रालय मतलब कोट-पैंट, प्रोटोकॉल इसी के आसपास घूमता है। विदेश मंत्रालय की हर चीज में प्रोटोकॉल सबसे पहले होता है। उन्होंने कहा कि सुषमा जी ने प्रोटोकॉल की परिभाषा को पीपल्स कॉल में परिवर्तित कर दिया। दुनिया में रह रहे किसी भी भारतीय की समस्या मेरी समस्या है, यह विदेश मंत्रालय के चरित्र में परिवर्तन लाना बहुत बड़ा काम था और बेहद कम समय में उन्होंने ऐसा किया।
उन्होंने बताया कि एक समय था, आजादी के 70 साल में देश में करीब-करीब 77 पासपोर्ट ऑफिस थे। सुषमा जी के समय में पांच साल में 505 पासपोर्ट ऑफिस उन्होंने शुरू कराए। ये काम सुषमा जी सहज रूप से करती थीं। पीएम ने कहा कि उम्र में मुझसे छोटी थीं, लेकिन मैं सार्वजनिक रूप से कहना चाहूंगा कि मुझे उनसे बहुत कुछ सीखने को मिलता था।
जब चुनाव न लड़ने का लिया फैसला
पीएम ने कहा कि इस बार उन्होंने (सुषमा) चुनाव न लड़ने का फैसला किया। एक बार उन्होंने पहले भी ऐसा किया था। तब मैं और वेंकैया जी उनसे मिले। उन्होंने मना किया, लेकिन जब उनसे कहा गया कि आप कर्नाटक जाइए और विशेष परिस्थिति में इस चुनाव में लड़िए। परिणाम करीब-करीब निश्चित था, लेकिन यह चुनौती भरा काम था, पार्टी के लिए उन्होंने यह काम किया। इस बार मैं उनको समझाता था कि सब संभाल लेंगे, लेकिन इस बार उन्होंने किसी की नहीं सुनी। वह अपने विचारों की पक्की थी।
पीएम ने कहा कि कोई सांसद जब सांसद नहीं रहता है, लेकिन सरकार को उसका मकान खाली कराने के लिए सालों तक नोटिस भेजना पड़ता है। सुषमा जी ने सब कुछ समेटने का तय कर लिया था। चुनाव परिणाम आए, उनका दायित्व पूरा हुआ तो उन्होंने पहला काम यह किया कि मकान खाली करके अपने निजी निवास पर चली गईं। मोदी ने कहा कि सार्वजनिक जीवन में ये सब चीजें बहुत कुछ कहती हैं।
'उनका भाषण प्रभावी ही नहीं प्रेरक भी होता था'
पीएम मोदी ने कहा कि उनका भाषण प्रभावी होने के साथ प्रेरक भी होता था। वे कृष्ण भक्ति को समर्पित थीं। हम जब भी मिलते थे वह मुझे जय श्रीकृष्ण कहती थीं, मैं उन्हें जय द्वारकाधीश कहता था, लेकिन कृष्ण का संकेत वह जीती थीं। उनके जीवन को देखें तो पता चलता है कि कर्मण्येवाधिकारस्ते क्या होता है।
पीएम ने कहा कि अब जीवन की विशेषता देखिए, उन्होंने सैकड़ों फोरम में जम्मू-कश्मीर की समस्या पर बोला होगा। आर्टिकल 370 पर बोला होगा, एक तरह से उसके साथ वह जी जान से जुड़ी थीं। जब जीवन का इतना बड़ा सपना पूरा होता है और खुशी समाती न हो... सुषमा जी के जाने के बाद जब मैं बांसुरी से मिला तो उन्होंने कहा कि इतनी खुशी-खुशी वह गईं हैं कि उसकी कल्पना करना मुश्किल है। एक प्रकार से उमंग से भरा मन नाच रहा था और उस खुशी के पल को जीते-जीते वह श्री कृष्ण के चरणों में पहुंच गईं।
श्रद्धांजलि सभा में ये लोग हुए शामिल
श्रद्धांजलि सभा में पीएम मोदी के अलावा गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, बीजेपी के सीनियर नेता मुरली मनोहर जोशी और कांग्रेस नेता आनंद शर्मा समेत कई दिग्गज नेताओं ने शिरकत की। आपको बता दें कि सुषमा स्वराज का छह अगस्त को रात में दिल का दौरा पड़ने से 67 वर्ष की उम्र में निधन हो गया था। स्वराज ने दिल्ली के एम्स अस्पताल में आखिरी सांस ली। कुछ साल पहले उनका किडनी ट्रांसप्लांट भी हुआ था।
उनका व्यक्तित्व और हृदय बड़ा था: आनंद शर्मा
पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा कि 6 अगस्त को कांग्रेस की बैठक चल रही थी तभी सूचना मिली कि सुषमा जी गंभीर हैं। बैठक में सभी लोगों ने कहा कि पहले उनके स्वास्थ्य की जानकारी लेनी चाहिए। शर्मा ने बताया कि कुछ समय बाद ही निधन की सूचना मिली। पूरा देश शोक में था, पूरी दुनिया ने श्रद्धांजलि दी। उनका कद भले ही छोटा था, लेकिन उनका व्यक्तित्व और हृदय बहुत बड़ा था। मेरी उनके साथ तीखी बहस भी होती थी, लेकिन उनकी बातों में कभी अहंकार और कटुता नहीं होती थी।
बीएसपी नेता सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा कि जोहानिसबर्ग में नेल्सन मंडेला की श्रद्धांजलि थी। मैं भी सुषमा जी के साथ गया था। उस समय उनके साथ बातचीत का मौका मिला। उनका व्यवहार बड़ी बहन जैसा था। आज उनके लिए श्रद्धांजलि कर रहे हैं, इसका भरोसा नहीं होता है। मिश्रा ने कहा कि बीएसपी प्रमुख ने खास तौर पर यहां पार्टी की तरफ से श्रद्धांजलि देने मुझे भेजा है।