दयाशंकर सिंह के खिलाफ लखनऊ के हजरतगंज थाने में अनुसूचित जाति अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज कराई गई थी उसके बाद से ही वे फरार चल रहे थे। इस बीच सिंह गिरफ्तारी से बचने के लिए फरार चल रहे थे। सिंह ने इससे पहले गिरफ्तारी पर रोक लगाने के लिए अर्जी दाखिल की थी जिसे अदालत ने खारिज कर दिया था। उसके बाद से कयास यह लगाया जा रहा था कि दयाशंकर आत्मसमर्पण कर देंगे। इस बीच उत्तर प्रदेश पुलिस ने सिंह को गिरफ्तार करने के लिए घेरेबंदी तेज कर दी और बिहार पुलिस के सहयोग से गिरफ्तार कर लिया।
इस बीच दयाशंकर सिंह की पत्नी स्वाति सिंह ने भी अभ्रद टिप्पणी के खिलाफ बसपा प्रमुख मायावती और बसपा के वरिष्ठ नेता नसीमुद्दीन के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। बलिया के रहने वाले सिंह लखनऊ विश्वविद्यालय से छात्र संघ की राजनीति कर रहे हैं। वे लखनऊ विश्वविद्यालय के पहले महामंत्री और बाद छात्र संघ अध्यक्ष बने। उसके बाद भारतीय जनता युवा मोर्चा से जुड़ गए। पहले महामंत्री बने बाद में प्रदेश और उसके बाद भाजयुमो के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बने। भाजपा के महामंत्री और बाद में उपाध्यक्ष बने सिंह विधानसभा और विधानपरिषद का भी चुनाव लड़ चुके हैं। लेकिन हर बार हार मिली। मायावती के खिलाफ टिप्पणी करने के बाद भाजपा ने पार्टी से निष्कासित कर दिया।
 
                                                 
                             
                                                 
                                                 
                                                 
			 
                     
                    