एक वरिष्ठ पत्रकार और दो पूर्व न्यायाधीशों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी को मौजूदा लोकसभा चुनाव पर सार्वजनिक बहस में भाग लेने के लिए पत्र लिखा है। 'द हिंदू' अखबार के पूर्व संपादक एन राम, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मदन लोकुर और दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एपी शाह ने दोनों नेताओं से गैर-व्यावसायिक और गैर-पक्षपातपूर्ण मंच पर सार्वजनिक बहस में भाग लेने का आग्रह किया।
पत्र में कहा गया है, "इस तरह की सार्वजनिक बहस न केवल जनता को शिक्षित करके, बल्कि एक स्वस्थ और जीवंत लोकतंत्र की सच्ची छवि पेश करने में भी एक बड़ी मिसाल कायम करेगी।" तीनों ने मोदी और राहुल गांधी से आग्रह किया कि यदि उनमें से कोई भी भाग लेने के लिए उपलब्ध नहीं है तो बहस के लिए एक प्रतिनिधि को नामित करें।
पत्र में कहा गया कि आपने विभिन्न क्षमताओं के जरिए देश के प्रति अपना कर्तव्य निभाया है। हम आपके पास एक ऐसे प्रस्ताव के साथ आ रहे हैं, जिसके बारे में हमारा मानना है कि यह पक्षपातपूर्ण नहीं है और प्रत्येक नागरिक के व्यापक हित में है। 18वीं लोकसभा का आम चुनाव अपने मध्य बिंदु पर पहुंच चुका है।
पत्र में कहा है कि रैलियों और सार्वजनिक संबोधनों के दौरान सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी और प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस दोनों के सदस्यों ने हमारे संवैधानिक लोकतंत्र के मूल से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न पूछे हैं। प्रधानमंत्री ने आरक्षण, आर्टिकल 370 और धन पुनर्वितरण पर कांग्रेस को सार्वजनिक रूप से चुनौती दी है।
पूर्व जजों ने कहा है किकांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने संविधान, चुनावी बॉन्ड योजना और चीन के प्रति सरकार की प्रतिक्रिया पर प्रधानमंत्री से सवाल किया है और उन्हें सार्वजनिक बहस की चुनौती भी दी है। उन्होंने कहा है किजनता के सदस्य के रूप में हम चिंतित हैं कि हमने दोनों पक्षों से केवल आरोप और चुनौतियां सुनी हैं और कोई सार्थक प्रतिक्रिया नहीं देखने को मिलीष