गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को कानून व्यवस्था को मजबूती देने और पुलिसि्ंग को आधुनिक बनाने के लिए देशभर की पुलिस व्यवस्था में सुधार की बात कही। बुधवार को पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ब्यूरो (बीपीआरडी) के स्थापना दिवस कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर एक पुलिस-फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी बनाई जाएगी। हर राज्य में इससे जुड़े कॉलेज होंगे। जल्द ही इसके ड्राफ्ट को कैबिनेट के सामने रखा जाएगा।
‘अब थर्ड डिग्री का जमाना नहीं’
शाह ने कहा कि अब थर्ड डिग्री का जमाना नहीं है। पुलिस को वैज्ञानिक तरीके से जांच करने की आवश्यकता है। अपराध और आपराधिक प्रवृत्ति वाले लोगों से पुलिस को हमेशा चार कदम आगे रहना चाहिए। इसके लिए मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आपराधिक मानसिकता और अपराध के तरीकों के अध्ययन करने के लिए नेशनल मोडल ऑपरेंडी ब्यूरो की स्थापना पर विचार करने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि आईपीसी और सीआरपीसी में संशोधन होना चाहिए। दोनों के लिए एक सलाह प्रक्रिया शुरू करने की जरूरत है। इसके लिए देशभर के लोगों से सुझाव लिया जाना चाहिए।
‘पुलिस सुधार लंबी और निरंतर चलने वाली प्रक्रिया’
उन्होंने कहा कि आजादी से पूर्व अंग्रेज सरकार को चलाने के लिए पुलिस की स्थापना हुई थी। सरदार वल्लभ भाई पटेल ने आजादी के बाद पुलिस को एक नया रूप दिया। उन्होंने मानवाधिकार की रक्षा, लोगों की सेवा और अधिकारों की रक्षा करने के लिए नए सिरे से पुलिस की स्थापना की। पुलिस सुधार एक लंबी और निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। चुनौतियों के अनुसार इसे आगे बढ़ाना पड़ेगा। बीपीआरडी को इन सुधारों की रूपरेखा नए सिरे से तैयार करनी होगी। पुलिस आधुनिक बनने के बाद ही अपराधियों से आगे रह सकती है।
‘आंतरिक सुरक्षा के लिए अब तक 34,000 जवान शहीद’
शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री देश को पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना चाहते हैं, जिसके लिए आंतरिक और बाहरी सुरक्षा आवश्यक है। देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए अब तक 34,000 से अधिक पुलिसकर्मियों ने शहादत दी है। इससे पुलिस की साख बनी है, जिसे आगे बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि पुलिस और कानून व्यवस्था राज्य का विषय है। यह जरूरी नहीं हमेशा राज्य का नेतृत्व ऐसा हो कि वह पुलिस को प्रेरित करे। जब कभी ऐसा नहीं होता है तब पुलिस का प्रदर्शन अपेक्षित नहीं होता। ऐसे उपायों के बारे में सोचना बीपीआडी का दायित्व है, जिनसे पुलिस का प्रदर्शन हर परिस्थिति में बेहतर हो।