दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार को लखनऊ में शुक्रवार को जोरदार विरोध का सामना करना पड़ा। इस तरह के विरोध को देखते हुए जिला प्रशासन ने लिटरेरी फेस्टिवल को रद्द कर दिया।
कन्हैया कुमार अपनी किताब 'बिहार से तिहाड़ तक’ पर चर्चा करने के लिए लखनऊ लिटरेरी फेस्टिवल में पहुंचे थे। इसके विरोध में भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) और अखिल भारतीय विद्यार्थी फेस्टिवल (एबीवीपी) के सदस्यों ने जमकर हंगामा किया। इतना ही नहीं कन्हैया समर्थकों और विरोध करने वालों के बीच हाथापाई भी हुई। राजधानी के शीरोज हैंगआउट में शुक्रवार रात से तीन दिन तक चलने वाले साहित्य महोत्सव में हुए भारी हंगामे के बाद जिला प्रशासन ने पहले ही दिन कार्यक्रम को रद्द कर दिया।
कार्यक्रम के दौरान कई हिंदूवादी व सामाजिक संगठनों के युवा पहुंचे और कन्हैया को देशद्रोही बताते हुए नारेबाजी शुरू कर दी। कुछ लोगों ने कन्हैया को काले झंडे दिखाने के साथ प्रदर्शन भी किया। यह हंगामा इतना बढ़ गया था कि एसिड अटैक पीडि़ताओं ने घेरा बनाकर कन्हैया कुमार को बचाया।
मामले को बढ़ता देखकर पुलिस को सूचना दी गई। हंगामे की सूचना पाकर मौके पर पहुंची गोमतीनगर और विभूति खंड थाने की पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को किसी तरह काबू किया। एसओ गोमतीनगर के मुताबिक, कन्हैया कुमार को कार्यक्रम से निकालकर सुरक्षित बाहर ले जाया गया। इस हंगामे के बाद कन्हैया कुमार ने कहा कि वे देशद्रोही नहीं हैं। स्वतंत्रता सेनानी के खानदान से आते हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें गोली भी मार दी जाएगी तब भी वे संघर्ष के मैदान से नहीं हटेंगे।
विरोध करने वाले लोगों से कन्हैया ने कहा कि आप जाकर गृह मंत्री से सवाल क्यों नहीें करते हैं कि अगर मैंने देश के खिलाफ कुछ बोला तो है तो मेरे खिलाफ आरोप पत्र क्यों नहीं दाखिल किया गया? इतना ही नहीं सरकार ने खुद ही मुझे सुरक्षा प्रदान की है।