उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने केंद्र सरकार द्वारा मेडिकल प्रवेश में ओबीसी आरक्षण लागू किए जाने पर निशाना साधा। उन्होंने केंद्र सरकार पर सियासी लाभ लेने के लिए लिया गया फैसला बताया।
मायावती ने ट्वीट करते हुए लिखा कि देश में सरकारी मेडिकल कालेजों की आल-इण्डिया की यूजी व पीजी सीटों में ओबीसी कोटा की घोषणा काफी देर से उठाया गया कदम। केन्द्र सरकार अगर यह फैसला पहले ही समय ले लेती तो इनको अबतक काफी लाभ हो जाता, किन्तु अब लोगों को यह चुनावी राजनीतिक स्वार्थ हेतु लिया गया फैसला लगता है। वैसे बीएसपी बहुत पहले से सरकारी नौकरियों में एससी, एसटी व ओबीसी कोटा के बैकलॉग पदों को भरने की मांग लगातार करती रही है, किन्तु केन्द्र व यूपी सहित अन्य राज्यों की भी सरकारें इन वर्गों के वास्तविक हित व कल्याण के प्रति लगातार उदासीन ही बनी हुई हैं, यह अति दुःखद है।
बता दें कि गुरुवार को केंद्र सरकार ने मेडिकल शिक्षा में बड़ा फैसला किया है। मेडिकल शिक्षा की सभी स्नातक और पोस्ट ग्रेजुएट सीटों पर नामांकन के लिए केंद्रीय कोटे में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की खातिर 27 फीसद आरक्षण लागू किए जाएंगे। साथ ही, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने का एक ऐतिहासिक फैसला लिया है। आरक्षण शैक्षणिक वर्ष 2021-22 से स्नातक और स्नातकोत्तर मेडिकल/डेंटल कोर्स (एमबीबीएस, एमडी, एमएस, डिप्लोमा, बीडीएस, एमडीएस) के लिए प्रदान करने का फैसला लिया गया है।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देंश के तहत, किसी राज्य में स्थित अच्छे मेडिकल कॉलेज में अध्ययन के इच्छुक किसी भी राज्य के विद्यार्थियों को निवास स्थान की शर्त से मुक्त योग्यता आधारित अवसर उपलब्ध कराने के लिए 1986 में अखिल भारतीय कोटा (एआईक्यू) योजना पेश की गई थी।
बता दें कि बीजेपी सरकार के इस फैसले से ओबीसी और दलित राजनीति में हावी पार्टियों को बड़ा नुकसान का खतरा सता रहा है। उन्हें डर है कि बीजेपी सरकार के इस कदम से कहीं इन समुदायों का बड़ा वोट शेयर बीजेपी की तरफ न मुड़ जाए।