दरअसल सिद्धू ने आम आदमी पार्टी में शामिल करने के लिए शर्त रखी थी कि पार्टी उन्हें पंजाब में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करे और उनके साथ उनकी पत्नी नवजोत कौर को भी विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाए। सूत्रों का कहना है कि अरविंद केजरीवाल ने इन दोनों ही शर्तों को मानने से इनकार कर दिया है। इसी वजह से 15 अगस्त से पहले सिद्धू के आम आदमी पार्टी में शामिल होने का फैसला टल गया है। वैसे बता दें कि सिद्धू ने भले ही राज्यसभा छोड़ दी हो मगर भाजपा से अबतक इस्तीफा नहीं दिया है।
आम आदमी पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि पार्टी तय कर चुकी है कि सिद्धू को सीएम उम्मीदवार नहीं बनाया जाएगा। इसके लिए तर्क दिया जा रहा है कि सिद्धू गैर इरादतन हत्या के एक मामले में सजायाफ्ता हैं और उन्होंने इस सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील कर रखी है। सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल उनकी सजा पर रोक लगा रखी है। यदि देश की सबसे बड़ी अदालत का फैसला सिद्धू के खिलाफ आया तो पार्टी को शर्मिंदगी झेलनी पड़ेगी। इसे देखते हुए पार्टी उन्हें सीएम उम्मीदवार बनाएगी इसकी संभावना न के बराबर है।
इसी प्रकार सिद्धू की पत्नी को विधानसभा चुनाव में टिकट देने में आम आदमी पार्टी का संविधान आड़े आ रहा है। दरअसल पार्टी ने तय कर रखा है कि एक परिवार से किसी एक ही व्यक्ति को टिकट दिया जाएगा। ऐसे में सिद्धू और उनकी पत्नी में से किसी एक को ही टिकट मिलेगा। सिद्धू की पत्नी भाजपा की ओर से तीन बार विधायक रह चुकी हैं और अभी भी वह पार्टी की विधायक हैं। भले ही सिद्धू दंपति ने पार्टी से बगावत कर रखी हो मगर दोनों में से किसी ने अबतक पार्टी से इस्तीफा नहीं दिया है। इसे देखते हुए यह साफ नहीं है कि आम आदमी पार्टी की ओर से मांगे नहीं माने जाने पर सिद्धू क्या करेंगे। वैसे कांग्रेस ने भी सिद्धू को निमंत्रण दे रखा है मगर सिद्धू वहां जाएंगे इसमें संदेह है क्योंकि वहां सिद्धू को कितना महत्व मिलेगा यह अभी तय नहीं है।