समाजवादी पार्टी के सांसद आरके चौधरी ने लोकसभा में ऐतिहासिक राजदंड सेंगोल की जगह संविधान स्थापित करने की मांग करके हलचल मचा दी है। इस पर सत्तारूढ़ भाजपा और एनडीए के अन्य सहयोगियों ने आलोचना की है।
प्रोटेम स्पीकर भर्तृहरि महताब को लिखे पत्र में आरके चौधरी ने सेंगोल को लोकतांत्रिक भारत में "राजतंत्र का कालभ्रमित प्रतीक" बताया। चौधरी ने कहा, "सेंगोल का मतलब है 'राज दंड'। इसका मतलब है 'राजा का डंडा'। रियासती व्यवस्था खत्म होने के बाद देश स्वतंत्र हो गया। क्या देश 'राजा के डंडे' से चलेगा या संविधान से? मैं मांग करता हूं कि संविधान को बचाने के लिए सेंगोल को संसद से हटाया जाए।"
पिछले साल नए संसद भवन के उद्घाटन के दौरान लोकसभा में स्थापित सेंगोल को अंग्रेजों से भारतीयों को सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के रूप में भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को सौंपा गया था। उत्तर प्रदेश में 37 सीटें जीतकर अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी इस लोकसभा में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है।
इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा, "मुझे बताएं कि जो पार्टी भाई-भतीजावाद का प्रतीक है, वह फिर से भारतीय संस्कृति के ऐसे अभिन्न अंग तमिल संस्कृति का अपमान करने पर तुली हुई है। अगर यह राजशाही का प्रतीक था तो पहले प्रधानमंत्री नेहरू ने इसे क्यों स्वीकार किया, क्या वह उस प्रतीक और राजशाही को स्वीकार कर रहे थे।" केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान भी इस बहस में शामिल हुए।
उन्होंने कहा, "यह मेरी समझ से परे है कि आपके क्षेत्र के लोगों ने आपको विकास कार्यों के लिए चुना है या यहां आकर ऐसी विवादास्पद राजनीति करने के लिए। जिस तरह से इतने दशकों तक ऐसे प्रतीकों को गलत रोशनी में दिखाने की कोशिश की गई, आज जब हमारे प्रधानमंत्री जी ने उन्हें उचित सम्मान दिया है, तो आपको इन सब बातों से क्यों तकलीफ हो रही है? ये विपक्षी नेता सकारात्मक राजनीति के बारे में क्यों नहीं सोच पाते?”