देश के विभिन्न हिस्सों में नागरिकता संशोधनन कानून (सीएए), नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस (एनआरसी) और नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शन के बीच पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने सोमवार को सीएए को 'असंवैधानिक' करार देते हुए कहा कि '56 इंच की छाती वाली सरकार' को नए नागरिकता कानून पर अपना अहंकार छोड़ना होगा और उन लोगों के सामने झुकना होगा जो विरोध कर रहे हैं।
इससे पहले उन्होंने रविवार को कहा था कि देश का संविधान खतरे में है। क्योंकि देश को धार्मिक तर्ज पर विभाजित करने का प्रयास किया जा रहा है।
सीएए संविधान की मूल संरचना के खिलाफ
उन्होंने कहा, “सीएए संविधान की मूल संरचना के खिलाफ है। नागरिकता कानून में इस तरह के संशोधन की कोई आवश्यकता नहीं थी क्योंकि भारत सरकार के पास पहले से ही किसी को भी नागरिकता देने की शक्ति थी। इस कानून को लागू नहीं किया जा सकता है।” इससे पहले तीन हजार किलोमीटर की गांधी शांति मार्च के दौरान शनिवार को उत्तर प्रदेश (यूपी) के लखनऊ पहुंचे यशवंत सिन्हा ने कहा था, “हम शांति और अहिंसा का संदेश फैलाने के लिए निकले हैं। इसलिए हमने इस यात्रा को निकालने का फैसला किया। क्योंकि, देश का संविधान और लोकतंत्र खतर में में है। किसान दुखी हैं और हर जगह विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।” बता दें कि, मुंबई से चले इस यात्रा का समापन 30 जनवरी को दिल्ली के राजघाट में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्य तीथी पर होगा।
‘लोकतंत्र में एक-दूसरे को सुनने का अधिकार’
पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि लोकतंत्र में हम सभी को एक-दूसरे को सुनने का अधिकार है। लेकिन, अभी लोगों के बीच नफरत बढ़ रही है और इसे समझने की जरूरत है। अगर जनता किसी कारणवश नाखुश हैं तो सरकार को उन्हें सुनना चाहिए। उन्होंने 9 जनवरी को मुंबई से अपने समर्थकों के साथ शांति मार्च शुरू किया था। राजस्थान और हरियाणा के बाद अभी वो यूपी पहुंचे में हैं।
‘ले प्रतिज्ञा की नही दिखाएंगे कागज’
यशवंत सिन्हा को अपनी यात्रा में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) नेता शरद पवार, समाजवादी पार्टी (सपा) नेता अखिलेश यादव और कांग्रेस नेता शत्रुघ्न सिन्हा का समर्थन मिला है। रविवार को गणतंत्र दिवस के मौके पर सैफई में अखिलेश यादव के साथ 158 फीट उच्चा झंडा फहराया। आगे उन्होंने कहा कि 26 जनवरी, 1950 को भीमराव अंबेडकर और उनके सहयोगियों द्वारा देश को दिए गए गणतंत्र और संविधान आज खतरे में हैं। धर्म के नाम पर देश को बांटने के खिलाफ पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। हम देश को फिर से विभाजित करने की अनुमति नहीं देंगे। पूर्व वित्त मंत्री ने लोगों से कहा कि प्रतिज्ञा ले कि वे अपनी नागरिकता साबित करने के लिए प्रशासन को कोई कागजात नहीं दिखाएंगे।
‘गांधी को फिर से नहीं मारा जाना चाहिए’
रविवार को सीएए लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व नेता यशवंत सिन्हा ने सैफई में कहा था कि धर्म के आधार पर विभाजन कर फिर से सांप्रदायिक शांति में विश्वास रखने वाले महात्मा गांधी को नहीं ‘मारा’ जाना चाहिए।